शनि देव एक बहुत ही अच्छे और न्याय प्रिय ग्रह है। यदि इनके स्वभाव के अनुसार कार्य होगा तो शनि देव के दुष्प्रभाव का किंचित मात्र भी असर नहीं होगा। रवि और गुरु द्वारा शनि पराजित होते है। यह तुला, मकर तथा कुंभ राशि में स्त्री स्थान में, स्वग्रह में, शनिवार को अपनी दशा में, राशि के अंत भाग में, युद्ध के समय, कृष्णपक्ष में तथा वक्री हो, इस समय, किसी भी स्थान पर हो बलवान होते है।
शनि के लिए मेष, सिंह, धनु, कर्क, वृश्चिक, मीन तथा मिथुन ये राशिया शुभ हैं। तुला और कुंभ अशुभ। वृषभ, कन्या और मकर बहुत अनिष्ट हैं, इन्हें उत्पात राशि कहा जाता है। जो व्यक्ति शनि के प्रभाव से भयभीत हैं, उन्हें नीचे बताए हुए प्रयोग करना चाहिए जिससे उनका जीवन सुखमय हो सके।
(1) प्रात:काल सूर्य उदय होने से पूर्व उठकर सूर्य भगवान की पूजा करें, गुड़ मिश्रित जल को चढ़ाएं।
(2) माता-पिता और घर के बुजुर्गों की सेवा करें।
(3) गुरु या गुरुतुल्य के आशीर्वाद लेते रहें।
(4) किसी को अकारण कष्ट नहीं दें और प्रत्येक को भगवान का स्वरूप समझें।
(5) पारिवारिक भरण-पोषण के लिए ईमानदारी और मेहनत से कमाए धन का सदुपयोग करें।
(6) अपने ईष्ट पर अटूट श्रद्धा और विश्वास रखें और नियमित रूप से उनकी पूजा-अर्चना करें।
(7) जो व्यक्ति कर्म और मन से सात्विक हो, परोपकार वृत्ति हो, गरीबों को अपनी समर्थता के अनुसार दान करता हो उन्हें शनि परेशान नहीं करते।
(8) दुर्व्यसन से परहेज करता हो उन के लिए शनि अशुभ नहीं करते।
भागवताचार्य एवं ज्योतिषाचार्य पण्डित राजेश शास्त्री, ( श्रीधाम वृन्दावन ), निवास~:फूप जिला-भिंड (म. प्र.)
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