आज के समय में हर कोई विदेश जाने का सपना देखता है लेकिन इनमें से कुछ लोगों के सपने पूरे हो जाते हैं और कुछ के नहीं। कभी जरूरी दस्तावेज पूरे नहीं हो पाते हैं तो कभी पैसों की कमी की वजह से यह सब नहीं हो। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि जातक की जन्म कुंडली में विदेश यात्रा का योग हो तो वह किसी ना किसी कारण से विदेश यात्रा जरूर करता है।
एक से ज्यादा बार जाते हैं विदेश : जातक की कुंडली में अगर अष्टमेश बारहवें स्थान में या फिर द्वादशेश आठवें भाव में अथवा अष्टमेश तथा द्वादशेश में परिवर्तन योग हो तो विदेश यात्रा होती है। अगर इस प्रकार के योग जातक की कुंडली में है तो वह एक से अधिक बार विदेश यात्राएं करता है।
विदेश में होता है व्यवसाय : यदि जातक की जन्म कुंडली में वृष लग्न में मंगल-शनि नवम भाव में हो तो जातक अधिकांश समय विदेश में ही बिताता है। ऐसे जातक की नौकरी के साथ व्यवसाय भी विदेश में ही होता है।
ऐसे बनता है योग : ग्रहों के चंद्रमा, शनि, शुक्र तथा राहु विदेश यात्रा के कारक हैं। इन ग्रहों का संबंध जब उपरोक्त भावों से होता है तो विदेश यात्रा होती है। अगर कुंडली में लग्नेश नवम भाग में तथा नवमेष लग्न में हो तो विदेश यात्रा के योग बनाता है।
विदेश में मिलता है सम्मान : अगर कुंडली में नवमेश बारहवें भाव में हो या फिर बारहवें भाव का स्वामी नवम भाव में हो, साथ ही दोनों का परिवर्तन का योग बन रहा हो तो ऐसे में विदेश यात्रा का योग बनता है। ऐसे जातक विदेश में ही उन्नति करते हैं तथा विदेश में भी काफी मान-सम्मान पाते हैं।
ऐसी हो कुंडली : किसी भी कुंडली में राहु ग्रह विदेश यात्रा में विशेष योगदान रखता है। यदि किसी जातक की कुंडली का बारहवां भाव सक्रिय होता है तो निश्चित तौर पर उस जातक को विदेश यात्रा का सुख हासिल होता है।
विदेश में ही रहते हैं ऐसे लोग : अगर कुंडली में धनु लग्न हो, लग्नेश गुरु नवम भाव में हो तथा मंगल चतुर्थ भाव में हो तो जातक विदेश में ही रहता है। उसका पूरा जीवन विदेश में ही बीतता है और वहीं उन्नति करता है। वहीं अगर कुंडली में आठवें भाव में तथा अष्टमेश पर पाप प्रभाव हो तो यह योग भी विदेश यात्रा करवाता है।
पोस्ट क्रेडिट : श्री राहुल भट्ट जी (ज्योतिषाचार्य)
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