हिन्दू धर्म में महिलाओं के सोलह श्रंगार में बिछिया भी आती है. बिछिया बहुत अधिक महत्व रखती है. धर्म कोई-सा भी हो चाहे हिंदू या मुसलमान दोनों धर्म की महिलाएं शादी के बाद अपने पैरों में बिछिया पहनती हैं. बिछियो को शादी का प्रतीक चिन्ह के रूप में माना जाता है. बिछिया को पहनने का धार्मिक महत्व तो बहुत है किन्तु इसका वैज्ञानिक महत्व भी बहुत है. आज हम आपको बिछिया पहनने के वैज्ञानिक महत्व के बारे में बता रहे हैं.
आइये जानते है बिछिया के वैज्ञानिक महत्व–
1. बिछिया पहनने का महत्व इसलिए है क्योंकि विज्ञान के अनुसार महिलाओं के पैरों के अंगूठे से दूसरी अंगुली में एक विशेष प्रकार कि नस होती है यह नस सीधे गर्भाशय से जुड़ी होती है. बिछिया पहनने से यह नस गर्भाशय को नियंत्रित करती है और इसे स्वस्थ रखने में सहायता करती है.
2. बिछिया पहनने से इसके दबाव से शरीर का रक्तचाप नियमित और नियंत्रित रहता है, और शरीर में सही तरीके से रक्त का संचार होने के कारण महिलाओं को मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है.
3. बिछिया पहनने से महिलाओं के मासिक-चक्र को नियमित करने में सहायता मिलती है. बिछिया मासिक-चक्र को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
4. पैरो में अधिकांशतः चांदी की बिछिया पहनी जाती है. चांदी की बिछिया पहनने से महिलाओं को बहुत अधिक लाभ होता है क्योंकि चांदी विद्युत की अच्छी संवाहक मानी जाती है.
5. बिछिया पृथ्वी से प्राप्त होने वाली ध्रुवीय ऊर्जा को अपने अंदर संचित करके पूरे शरीर में पहुंचाती है, जिसके कारण महिलाएं हमेशा तरोताज़ा महसूस करती हैं.
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