इस ब्रह्मांड को उल्टे पेड़ के समान माना गया है. कहा गया है कि पहले यह ब्रह्मांड बीज रूप में था और अब यह अपने पेड़ रूप में आ गया है. प्रलय के बाद में ये फिर बीज रूप में आ जाएगा. यही कारण है कि हिंदू धर्म के पूजा-पाठ में कुछ पेड़ों को विशेष महत्व दिया गया है. इन पेड़ों की रक्षा करना हर हिंदू का कर्तव्य है. इन्हें घर के आसपास लगाने से सुख, शांति और समृद्धि की अनुभूति होती है. किसी भी तरह का रोग और दुख् नहीं होता.
????बरगद – बरगद को वट भी कहा जाता है. वट सावित्री नाम का एक त्योहार पूरी तरह से वट को ही समर्पित है. पीपल के बाद बरगद का सबसे ज्यादा महत्व है. पीपल में जहां भगवान विष्णु का वास है वहीं बरगद को साक्षात शिव कहा गया है. माना जाता है कि बरगद को देखना शिव के दर्शन करना है. हिंदू धर्म के अनुसार इनमें भी पांच वटवृक्षों का ज्यादा महत्व है. ये हैं प्रयाग में अक्षयवट, नासिक में पंचवट, वृंदावन में वंशीवट, गया में गयावट और उज्जैन में पवित्र सिद्धवट.
???? पीपल – अथर्ववेद के उपवेद आयुर्वेद में पीपल के औषधीय गुणों का अनेक असाध्य रोगों में उपयोग बताया गया है. औषधीय गुणों के कारण पीपल के पेड़ को ‘कल्पवृक्ष’ की संज्ञा दी गई है. इसमें जड़ से लेकर पत्तियों तक तैंतीस कोटि देवताओं का वास होता है. इसलिए हिंदू धर्म शास्त्रों में सुबह के समय पीपल की आराधना करने को कहा गया है. इस पेड़ में जल चढ़ाने से रोग और दुख मिट जाते हैं. पीपल को अमृत के समान भी माना गया है. दरअसल, पर्यावरण में सबसे ज्यादा ऑक्सीजन छोड़ने के कारण इसे ऑक्सीजन का भंडार कहा जाता है.
????आम – जब भी कोई मांगलिक काम होता है तो घर या पूजा स्थल के द्वार व दीवारों पर आम के पत्तों की लड़ लगाकर मांगलिक उत्सव के माहौल को धार्मिक और वातावरण को शुद्ध किया जाता है. दरअसल, आम के रस से कई प्रकार के रोग दूर होते हैं। साथ ही, आम के पत्तों में नकारात्मकता को अवशोषित करने व सकारात्मकता देने का अनोखा गुण पाया जाता है.
???? बिल्व – बिल्व वृक्ष भगवान शिव की अराधना का मुख्य अंग माना गया है. धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होने के कारण इसे मंदिरों के पास लगाया जाता है. बिल्व वृक्ष की तासीर बहुत ठंडी होती है. गर्मी की तपिश से बचने के लिए इसके फल का शर्बत बहुत फायदेमंद होता है. स्कंदपुराण में कहा गया है कि एक बार देवी पार्वती ने अपनी ललाट से पसीना पोछकर फेंका, जिसकी कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर गिरीं, जिससे बेल का पेड़ पैदा हुआ. कहा जाता है कि इसके कांटों में भी कई शक्तियां होती हैं. देवी महालक्ष्मी का भी बेल वृक्ष में निवास है. जो व्यक्ति शिव-पार्वती की पूजा बेलपत्र अर्पित कर करते हैं, उन्हें महादेव और देवी पार्वती दोनों का आशीर्वाद मिलता है. ‘शिवपुराण’ में इसकी महिमा विस्तृत रूप में बताई गई है.
???? अशोक – अशोक के पेड़ को बहुत ही पवित्र और फायदेमंद माना गया है. अशोक का शब्दिक अर्थ होता है किसी भी तरह का शोक न होना. मांगलिक व धार्मिक कामों में अशोक के पत्तों का उपयोग किया जाता है. इसके उपयोग से खून व चमड़ी से जुड़े रोग भी दूर होता है. अशोक का वृक्ष घर में उत्तर दिशा में लगाना चाहिए जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचारण बना रहता है. इसके होने से सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है व अकाल मृत्यु नहीं होती.
???? नारियल – नारियल का बहुत महत्व है. कलश में पानी भरकर उसके ऊपर नारियल रखा जाता है. यह मंगल प्रतीक है. नारियल का प्रसाद भगवान को चढ़ाया जाता है. नारियल के पानी में पोटैशियम अधिक मात्रा में होता है. नारियल के गूदे का इस्तेमाल नाड़ियों की समस्या, कमजोरी, कमजोरी याददाश्त, फेफड़ों के रोगों के उपचार के लिए किया जाता है. यह स्किन और आंतों की समस्याओं को भी दूर करता है. अस्थमा से पीड़ित लोगों को भी नारियल पानी पीने की सलाह दी जाती है.
???? केला – केले का पेड़ काफी पवित्र माना जाता है और कई धार्मिक कार्यों में इसका उपयोग किया जाता है. भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को केले का भोग लगाया जाता है. केले के पत्तों में प्रसाद बांटा जाता है। माना जाता है कि समृद्धि के लिए केले के पेड़ की पूजा अच्छी होती है. केला हर मौसम में सरलता से मिलने वाला फल है। पके केले के नियमित सेवन से शरीर मजबूत बनता है.
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