अध्यात्म ज्योतिष

तिथियों से जानिये शुभ-अशुभ विचार

Written by Bhakti Pravah

 किस तिथि को कौनसा काम शुरू करना अच्छा होता है और कौनसा नहीं? कौन सी तिथि शुभ है और कौनसी अशुभ? कौन सी तिथि का क्या उपनाम है? यह जानने के लिए सभी तिथियों का शुभ-अशुभ विचार जान लेना बेहतर होता है।

प्रतिपदा-  इसे एकम् और नंदा तिथि के नाम से भी जानते हैं। इस तिथि के दिन गर्भाधान मुहूर्त, बहीखाता मुहूर्त, यज्ञ-अनुष्ठान भूमि लेन-देन, में इस तिथि का उपयोग करना श्रेष्ठ होता है। प्रतिपदा तिथि में उत्तराषाढ़ा नक्षत्र हो तो अशुभ रहता है।

इस तिथि के दिन तुला और मकर लग्न हो तो यह भी अशुभ रहता है। मेष और वृश्चिक राशि वालों के लिए क्रमश: कार्तिक मास और अश्विन मास की प्रतिपदा तिथि अशुभ रहती है। पौष माह की प्रतिपदा तिथि में यात्रा करने से आर्थिक कार्य पूर्ण होते हैं और सुख की प्राप्ति होती है।

द्वितीया-  द्वितीया तिथि की संज्ञा भद्रा नाम से भी है। इस तिथि में मुंडन संस्कार, विद्या आरम्भ यज्ञोपवीत धारण, वर वरण, कन्या वरण मुहूर्त करना शुभ रहता है। द्वितीया तिथि में अनुराधा नक्षत्र अशुभ रहता है। इसमें शुभ कार्य त्याज्य हैं।

मिथुन व कर्क राशि वालों के लिए क्रमश: आषाढ़ और पोष मास की द्वितीया तिथि अशुभ रहती है। पौष माह की द्वितीया तिथि में यात्रा करने पर हानि, भय और पछतावा रहता है। लेकिन द्वितीया तिथि कि 4थीं (चौथी) प्रहर में यात्रा करना उत्तम रहता है। द्वितीया तिथि में उत्तर दिशा की और यात्रा करने से सुख की प्राप्ति होती है।

तृतीया-  इसका दूसरा नाम जया भी है। इस तिथि में अक्षराम्भ मुहूर्त, विवाह मुहूर्त, गर्भवती को प्रथम बार पीहर लाने, जलवा पूजन में, तृतीया तिथि का खासा महžव है। इस दिन उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्र पद, नक्षत्र हो तो शुभ कार्य निषेध है।

सिंह और मकर लग्न में तृतीय तिथि अशुभ होती है। तृतीया तिथि के दिन यात्रा करने से कामना पूर्ण होती है और यात्रा सकुशल पूर्ण होती है। सिंह, धनु, कुंभ इन राशि वालों के लिए क्रमश: ज्येष्ठ, श्रावण, चैत्र मास की तृतीया तिथि अशुभ रहती है। तृतीया तिथि के दिन दक्षिण-पूर्व में यात्रा करना, मध्यम रहता है।

चतुर्थी- इसे रिक्ता भी कहते हैं। ग्रह प्रवेश ग्रह निर्माण, वाहन खरीदने, वाहन बेचने जैसे कार्य इस दिन कर सकते है। पौष माह मे चतुर्थी तिथि शून्य होती है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन (दिन वाली भद्रा) शुभ होती है।

तुला राशि वालों के लिए माघ महीने की चतुर्थी और मकर राशि वालों के लिए वैशाख महीने की चतुर्थी तिथि अशुभ होती है। चतुर्थी तिथि के दिन यात्रा करने से क्लेश की संभावना, धन हानि, जीव हानि, होने का डर बना रहता है। चतुर्थी तिथि के दिन दक्षिण पश्चिम नैऋत्य कोण में यात्रा करना अधम रहता है।

पंचमी- इसे पूर्णा तिथि भी कहते हैं। दुकान खोलने का शुभ मुहूर्त, नए व्यापार की शुरूआत, देव प्रतिष्ठा के लिए मुहूर्त, ग्रहांरभ मुहूर्त, भूमि क्रय-विक्रय के लिए मुहूर्त अधिकारियों से मिलने का कार्य, ऎसे कई कार्य पंचमी तिथि के दिन किए जा सकते हैं।

पंचमी तिथि के दिन मिथुन और कन्या लग्न हो तो मंगल कार्य करना और कराना अशुभ रहता है। वृषभ राशि वालों के लिए माघ महीने की पंचमी अशुभ रहती है। कन्या राशि वालोें के लिए भाद्रपद महीने को पंचमी तिथि अशुभ रहती है। पंचमी के दिन यात्रा करने से व्याधि व संकट आने की संभावना बनी रहती है।

षष्ठी-  इसे नन्दा भी कहते है  इस तिथि के दिन भवन क्रय करना, अपने घर या ऑफिस में नौकर रखना, किसी विशेष कार्य के लिए मंत्र अनुष्ठान प्रारम्भ करना, किराए के मकान में या दुकान में रहने की और कार्य करने शुरूआत षष्ठी तिथि के दिन कर सकते हैं।

इस तिथि के दिन मृगशिरा नक्षत्र वार सोमवार हो तो अशुभ रहता है। षष्ठी के दिन यात्रा करने से धन कि प्राप्ति होती है और इस दिन दक्षिण दिशा मे यात्रा करना शुभ रहता है। मेष और वृश्चिक के लिए षष्ठी अशुभ रहती है।

सप्तमी – सप्तमी को भद्रा के नाम से भी जानते है। इस दिन ग्रहारंभ का कार्य, नया गैस चूल्हा, भट्टी लाना, कपड़े से संबंधित कार्य, औषधि निर्माण व सेवन करने जैसे कार्य स#मी तिथि को प्रारम्भ करे।

इस दिन धनु व कर्क लग्न हो तो अशुभ होता है। स#मी के दिन हस्त नक्षत्र और मूल नक्षत्र को छोड़कर सभी नक्षत्रों में शुभ कायोंü की शुरूआत कर सकते हंै। यह तिथि मध्यम कही गई है। इस दिन अधिकांश व्यक्तियों का भाग्योदय होता है और नवीन साधनों की प्राप्ति होती है।

अष्टमी- इसे जया नाम से भी जानते हैं। इस तिथि के दिन दत्तक पुत्र ग्रहण करना, पद ग्रहण करना, उत्तम रहता है। इस दिन रोहिणी, मृग शिरा, पुष्य, हस्त, चित्रा, नक्षत्र हो तो वास्तु शांति करना उत्तम रहता है।

अष्ठमी के दिन पूर्वाभाद्रप्रद नक्षत्र हो तो शुभ कार्यों को विराम कर देना चाहिए। इस दिन लेन-देन के कार्य नहीं करने चाहिए। अष्ठमी तिथि के दिन भी छोटी-छोटी यात्रा करना उत्तम है और लम्बी यात्रा करना अशुभ रहता है।

नवमी- नवमी को रिक्ता के नाम से जानते हैं। इस तिथि के दिन ग्रह प्रवेश का कार्य, विवाह का कार्य, निर्माणधीन मकान कार्य शुरू करना जैसे काम नवमी में शुरू करना शुभ रहता है। इस दिन सोचा गया कार्य शीघ्र ही पूर्ण होता है।

नवमी तिथि के दिन कर्क और सिंह लग्न में शुभ कार्य की शुरूआत नहीं करे बाकी लग्न शुभ रहते हैं। नवमी तिथि के दिन कृत्तिका नक्षत्र का रहना अमंगलकारी होता है। इस नक्षत्र में शुभ काम करने से बचें।

दशमी-  इस तिथि को पूर्णा तिथि भी कहते हैं। इस तिथि के दिन मशीनों का शुभारम्भ, कम्प्यूटर जैसी आधुनिक उपकरणों का शुभारम्भ, पितरों को याद करना, पितरों के निमित्त धर्मशाला, प्याऊ, कमरे आदि बनवाने जैसे शुभ कार्य दशमी तिथि के दिन प्रारम्भ कर सकते हैं।

इस तिथि के दिन सौभाग्य की प्राप्ति होती है और नवीन समाचार मिलने के आसार रहते हैं। शुभ संकेतों को देखकर शुरू किए गए काम में सफलता की संभावना ज्यादा होती है।

Post Source : Kaushik Kuru Ji Narwana

Leave a Comment