तेल कई प्रकार का होता है, सरसो, नारियल, मूंगफली, सूर्यमुखी, जैतून, पाम, सोया और रेपसीड के तेल का इस्तेमाल अक्सर खाद्य पदार्थ को तलने या सब्जी बखारने में किया जाता है। नीम, अरंडी, चमेली, तिल, अलसी, कर्पूर, राईं, आंवला आदि का तेल हमारी सेहत के लिए आयुर्वेदिक नुस्खे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
चमेली का तेल : हनुमानजी को हर मंगलवार या शनिवार सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करना चाहिए। नियमित रूप से हनुमानजी को धूप-अगरबत्ती लगाना चाहिए। हार-फूल अर्पित करना चाहिए। हनुमानजी को चमेली के तेल का दीपक नहीं लगाया जाता बल्कि तेल उनके शरीर पर लगाया जाता है। ऐसा करने पर सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
सरसों का तेल : एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर उसमें अपनी छाया देखकर उसे शनिवार के दिन शाम को शनिदेव के मंदिर में रख आएं। इसके अलावा आप अलग से शनिदेव को तेल चढ़ा भी सकते हैं। इस उपाय से आपके उपर शनिदेव की कृपा बनी रहेगी।
पीपल के नीचे सरसों तेल का दीपक लगातार 41 दिन तक प्रज्ज्वलित करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।
तिल का तेल : तिल के तेल का दीपक 41 दिन लगातार पीपल के नीचे प्रज्ज्वलित करने से असाध्य रोगों में अभूतपूर्व लाभ मिलता है और रोगी स्वस्थ हो जाता है। भिन्न-भिन्न साधनाओं व सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए भी पीपल के नीचे दीपक प्रज्ज्वलित किए जाने का विधान है।
शारीरिक कष्ट दूर करने के लिए : शनिवार को सवा किलो आलू व बैंगन की सब्जी सरसों के तेल में बनाएं। उतनी ही पूरियां सरसों के तेल में बनाकर अंधे, लंगड़े व गरीब लोगों को यह भोजन खिलाए। ऐसा कम से कम 3 शनिवार करेंगे तो शारीरिक कष्ट दूर हो जाएगा।
दुर्भाग्य से पीछा छुड़ाने का उपाय: सरसो के तेल में सिके गेहूं के आटे व पुराने गुड़ से तैयार सात पूए, सात मदार (आक) के फूल, सिंदूर, आटे से तैयार सरसो के तेल का दीपक, पत्तल या अरण्डी के पत्ते पर रखकर शनिवार की रात में किसी चौराहे पर रख कर कहें -‘हे मेरे दुर्भाग्य तुझे यहीं छोड़े जा रहा हूं कृपा करके मेरा पीछा ना करना।’ सामान रखकर पीछे मुड़कर न देखें।
भागवताचार्य एवं ज्योतिषाचार्य- श्री राजेश शाश्त्री जी (फूप जिला-भिंड (म. प्र.)
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