अध्यात्म ज्योतिष

जानिये तंत्र व काला जादू के अंतर को

Written by Bhakti Pravah

अमूमन हम सभी ने तंत्र, मंत्र, जादू, टोना-टोटका और ऐसी कई बातों के बारे में काफी कुछ सुना है। विज्ञान इन्हें भले ही न मानें लेकिन हिंदू धर्म के चार वेदों में से एक अथर्ववेद में इन बातों का विस्तार से उल्लेख है।

अथर्ववेद में बताया गया है कि इन्हें कैसे करें, किसलिए करें, आदि। इन सभी तंत्र, जादू, टोना टोटके के लिए कई दिव्य मंत्र यहां बताए गए हैं। दरअसल अथर्ववेद सिर्फ सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जाओं के इस्तेमाल को समर्पित है।

भगवान शिव भी तंत्र पूजा करते थे। यह बात शिव महापुराण में उल्लेखित है। भगवान भोलेनाथ तंत्र साधना से सकारात्मक शक्तियों का निर्माण जीव कल्याण के लिए करते थे। तंत्र बहुत ज्यादा प्रभावशील और संवेदनशील होते हैं। यदि इन्हें सही तरह से सिद्ध किया जाए, तो यह काफी सकारात्मक परिणाम प्रस्तुत करते हैं।

तंत्र अध्यात्म का ही भाग हैं। भगवान शिव ने ही तंत्र शास्त्र का निर्माण किया है। तंत्र शास्त्र हिंदू धर्म का मुख्य भाग है। दरअसल तंत्र शास्त्र का उपयोग अलौकिक शक्तियों को नियंत्रित करने में किया जाता है।

काला जादू तंत्र से बिल्कुल विपरीत होता है।

काला जादू नकारात्मक शक्ति है। जो मानव शरीर में मौजूद आत्मा और मस्तिष्क को खराब कर देती है। अध्यात्म में इसे अतिरिक्त ऊर्जा बताया गया है। जो पूरी तरह से नकारात्मक है। काला जादू पूरी तरह से व्यक्ति को खत्म नहीं करता लेकिन किसी भी व्यक्ति की आत्मा और शरीर को इतनी हानि पहुंचाता है कि वो मृत्यु और जीवन के अधर में ही रहता है।

द्वापर युग यानी महाभारत में ऊर्जा के बारे में रोचक प्रसंग मिलता है। एक बार अर्जुन ने श्रीकृष्ण से सवाल पूछा था, ‘आपका यह कहना है कि हर चीज एक ही ऊर्जा से बनी है और हरेक चीज दैवीय है, अगर वही देवत्व दुर्योधन में भी है, तो वह ऐसे नकारात्मक काम क्यों कर रहा है?’ कृष्ण थोड़ा हंसे फिर रुके और उन्होंने कहा, ‘ईश्वर निर्गुण है, दिव्यता निर्गुण है। उसका अपना कोई गुण नहीं है।’

इसका अर्थ है कि वह बस विशुद्ध ऊर्जा है। आप उससे कुछ भी बना सकते हैं। जो बाघ आपको खाने आता है, उसमें भी वही ऊर्जा है और कोई देवता, जो आकर आपको बचा सकता है, उसमें भी वही ऊर्जा है। बस वे अलग-अलग तरीकों से काम कर रहे हैं।

ऐसे में सिर्फ बचाव के तौर पर आप रुद्राक्ष के साथ अपनी कुंडली अनुसार नकारात्मकता को समाप्त करने वाले उचित रत्न पहन सकते हैं, जो किसी भी किस्म की नकारात्मकता से सुरक्षा करते है

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