नागपुर। लिम्बो स्केटिंग में कीर्तिमानों का पर्याय बन चुकी सृष्टि शर्मा ने अपनी उपलब्धियों की फेहरिस्त में एक और उपलब्धि जोड़ दी है। अब वह आइस लिम्बो स्केटिंग में भी अपना नाम गिनीज आफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज कराने में सफल रही है।
सृष्टि ने हरियाणा के गुड़गांव स्थित एबियंस माल में 28 दिसम्बर 2017 को ‘लोवेस्ट आइस स्केटिंग ओवर 10 मीटर’ की कटेगरी में 17.78 सेमी से 10 मीटर अन्तर पार कर गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज कराया। इसकी पुष्टि अभी बीते अप्रैल माह की 12 तारीख को प्राप्त एक ईमेल से हुई। उल्लेखनीय है कि अब तक सृष्टि लिम्बो स्केटिंग की अलग—अलग विधाओं में तीन बार विश्व रिकार्ड दर्ज करा चुकी है।
दुनिया की पहली स्केटर—
गौरतलब है कि सृष्टि आइस स्केटिंग में यह उपलब्धि हासिल करने वाली दुनिया की पहली स्केटर है। सृष्टि की यह अनुपम उपलब्धि उसके परिवार की कड़ी मेहनत, जुनून और जज्बातों का प्रतिफल है।
इससे पहले साल 2016 में सृष्टि ने तकरीबन 40 दिन गुड़गांव में रहकर आइस स्केट एबियंस माल में आइस लिम्बो स्केटिंग का प्रशिक्षण प्राप्त किया। 9 सितम्बर 2016 को फिगर स्केट से रिकार्ड बनाने का प्रयास किया लेकिन गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड की ओर से 20 सेमी हाइट के नीचे का निर्धारित लक्ष्य पूरा न कर पाई। सृष्टि 30 सेमी हाइट ही पार कर पाई थी। चूंकि फिगर स्केट की मोटाई 3 एमएम होती है, पैरों के एंकल की सेफ्टी के लिये उसकी एंकल से शूज 2 इंच ऊंचा होता है। इस तकनीकी कारण की वजह से फिगर स्केट या कोई भी सिंगल ब्लेड आइस स्केट से लिम्बो स्केटिंग नहीं किया जा सकता।
लेकिन सृष्टि हार नहीं मानी और दोबारा यह रिकार्ड बनाने का प्रयास किया जिसके लिये विदेश से विशेष तौर पर डबल ब्लेड आइस स्केट मंगाया गया था, परन्तु फिर भी सफलता नहीं मिली क्योंकि ब्लेड की मोटाई 1 एमएम की थी जो बर्फ में फंस रहा था। इसके बाद सृष्टि के पिता धर्मेन्द्र शर्मा ने निश्चय किया कि वह यह स्केट खुद ही बनायेंगे और 3 एमएम ब्लेड का स्केट बनाया। उस स्केट से सृष्टि ने तकरीबन 15 दिन आइस स्केट एबियंस माल गुड़गांव में आइस लिम्बो स्केटिंग का प्रशिक्षण लेते हुये 28 दिसम्बर 2017 को वर्ल्ड रिकार्ड बनाकर इतिहास रचा। इस रिकार्ड के पूरे दस्तावेज गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड की वेबसाइट पर 1 फरवरी 2018 को अपलोड किया गया जिसकी पुष्टि 12 अप्रैल को प्राप्त ईमेल से हुई।
कुछ कर गुजरने की तमन्ना—
सेण्टर प्वाइंट स्कूल उमरेड की कक्षा 9वीं की छात्रा सृष्टि की कामयाबी की चमक उसके चेहरे पर साफ झलकती है। वह अपने इन रिकार्डों के माध्यम से यह बताना चाहती है कि भीड़ हमेशा उस रास्ते पर चलती है जो रास्ता आसान लगता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि भीड़ हमेशा सही रास्ते पर चलती है। अपने रास्ते खुद चुनिये क्योंकि आपको आपसे बेहतर और कोई नहीं जानता। यदि आपमें कुछ कर गुजरने का जुनून है तो बेटों के साथ बेटियां भी अपने देश को प्रगतिशील बनाने में योगदान निभा सकती हैं।
Post Source & Image Credit : Vishwakarma Kiran
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