जो जीव एक बार श्री कृष्ण के शरणागत हो जाता है, उसे फिर किसी ज्योतिषी को अपनी ग्रहदशा और जन्म कुंडली दिखाने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
इसके पीछे का विज्ञान तो यह है कि भगवान् के शरणागत जीव की रक्षा स्वयं भगवान् किया करते हैं और सब ग्रह, नक्षत्र, देवी देवता श्री कृष्ण की ही शक्तियाँ हैं, सब उनके ही दास हैं। इसलिए भक्त का अनिष्ट कोई कर नहीं सकता और प्रारब्ध जन्य अनिष्ट को कोई टाल नहीं सकता। फिर भी कई बार हम अपने हाथों में में रंग-बिरंगी अंगूठियाँ पहनकर, जप, दान आदि करके हम अपने ग्रहों को तुष्ट करने में लगे रहते हैं।
श्रीकृष्ण हमारे सखा हैं। आइये अब समझें कि किस ग्रह का हमारे सर्व समर्थ श्रीकृष्ण से कैसा संसारी नाता है।
जो मृत्यु के राजा हैं यम, वह यमुना जी के भाई हैं ,और यमुना जी हैं भगवान की पटरानी, तो यम हुए भगवान के साले, तो हमारे सखा के साले हमारा क्या बिगाड़ेंगे?
सूर्य हैं भगवान के ससुर (यमुना जी के पिता) तो हमारे मित्र के ससुर भला हमारा क्या अहित करेंगे?
सूर्य के पुत्र हैं शनि, तो वह भी भगवान के साले हुए, तो शनिदेव हमारा क्या बिगाड़ लेंगे?
चंद्रमा और लक्ष्मी जी समुद्र से प्रकट हुए थे। लक्ष्मी जी भगवान की पत्नी हैं, और लक्ष्मी जी के भाई हैं चंद्रमा, क्योंकि दोनों के पिता हैं समुद्र। तो चन्द्रमा भी भगवान के साले हुए, तो वे भी हमारा क्या बिगाड़ेंगे?
बुध चंद्रमा के पुत्र हैं, तो उनसे भी हमारे प्यारे का ससुराल का नाता है। हमारे सखा श्रीकृष्ण बुध के फूफाजी हुए, तो भला बुध हमारा क्या बिगाड़ेंगे?
बृहस्पति और शुक्र वैसे ही बड़े सौम्य ग्रह हैं, फिर, ये दोनों ही परम विद्वान् हैं, इसलिए श्रीकृष्ण के भक्तों की तरफ इनकी कुदृष्टि कभी हो ही नहीं सकती।
राहु केतु तो बेचारे जिस दिन एक से दो हुए, उस दिन से आज तक भगवान के चक्र के पराक्रम को कभी नही भूले भला वे कृष्ण के सखाओं की और टेढ़ी नजर से देखने की हिम्मत जुटा पाएँगे?
तो अब बचे मंगल ग्रह। ये हैं तो क्रूर गृह, लेकिन ये तो अपनी सत्यभामा जी के भाई हैं। चलो, ये भी निकले हमारे प्यारे के ससुराल वाले। अतः श्रीकृष्ण के साले होकर मंगल हमारा अनिष्ट कैसे करेंगे?
इसलिए श्री कृष्ण के शरणागत को किसी भी ग्रह से कभी भी डरने की जरूरत नहीं! संसार में कोई चाहकर भी अब हमारा अनिष्ट नहीं कर सकता। इसलिए निर्भय होकर, डंके की चोट पर श्रीकृष्ण से अपना नाता जोड़े रखिए।
हाँ, जिसने श्रीकृष्ण से अभी तक कोई भी रिश्ता पक्का नहीं किया है, उसे संसार में पग-पग पर ख़तरा है। उसे तो सब ग्रहों को अलग-अलग मनाना पडेगा। इसलिए ठाकुरजी की शरण रहे और उनकी कृपा से ही संभव होगा के अपने प्रभु पे आसक्ति रहे और अन्य जगह नहीं भटके तो वल्लभ के शरण रहिये तो सब उन सब की कृपा से अनुकूल रहेगे सब ग्रह।
।। जय श्री कृष्ण ।।
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