ओम् आंजनेयाय विद्मिहे वायुपुत्राय धीमहि |
तन्नो: हनुमान: प्रचोदयात ||
ओम् रामदूताय विद्मिहे कपिराजाय धीमहि |
तन्नो: मारुति: प्रचोदयात ||
ओम् अन्जनिसुताय विद्मिहे महाबलाय धीमहि |
तन्नो: मारुति: प्रचोदयात ||
किसी भी सामान्य रात्रि में कभी भी सिद्ध कर सकते है | किन्तु 12 से 1 बजे तक का समय न चुने, और कोई भी टाइम चलेगा | आसन कोई भी ले सकते हैं। वैसे कुशा का आसन सर्वोत्तम है |
इस साधना को करने के लिए पास किसी भी हनुमान जी के मंदिर में जाये | एक सरसों के तेल का दिया जला दे जो जब तक आपका मंत्र जप पूरा न हो दिया जलता रहना चाहिए | इस लिए एक बड़ा दिया ले लें | सवा मीटर लाल कपड़ा जो आपको हनुमान जी को लगोट के रूप में अर्पण करना है और सवा किलो लड्डू किसी भी तरह के ले ले | एक बात हमेशा याद रखे हनुमान जी को भोग अर्पण करते समय हमेशा एक तुलसी दल भोग के उपर रख देना चाहिए तभी उनकी क्षुधा शांत होती है| माला मूँगे की अथवा रुद्राक्ष की ले | आपको एक माला मंत्र जाप करना है | प्रसाद व लाल वस्त्र वही हनुमान जी के चरणों में छोड़ दे और अपनी व परिवार की रक्षा के लिए प्रार्थना करे और घर आ जाए |
इतना ही नहीं जब साधक साधना पर बैठे साधना में आने वाले विघ्न जैसे की निद्रा आलस्य और अंजाना भय भी उसी वक़्त दूर होता है | इस लिए इसे आप स्व परख ले और लाभ देख सकते है | सिद्धि कोई भी हो साधक की मनोदशा पर निर्भर करती होती है | यह मंत्र आपको किसी किताब से नहीं मिलेगा क्यू के ऐसे मंत्र किताबों में बहुत कम मिलते है |
शावर चुटकी मंत्र
ॐ नमो गुरु जी चुटकी दाएँ चुटकी बाएं, चुटकी रक्षा करे हर थाएं |
बजर का कोठा अजर कबाड़ , चुटकी बांधे दसो दुयार ||
जो कोई घाले मुझ पे घाल उलटत देव वही पर जाए |
हनुमान जी चुटकी बजाए , राम चंदर पछताये, सीता माता भोग बनाया हनुमान मुसकाये |
माता अंजनी की आन ,
चुटकी रक्षा करो तमाम |
जय हनुमान, जय हनुमान, जय हनुमान ||
प्रयोग विधि
सिद्ध करने के बाद जब भी जरूरत हो एक वार मंत्र पढ़ के तीन वार चुटकी वज़ा दे | एक वार दाएँ एक वार बाएं एक वार सिर के उपर उसी वक़्त रक्षा होगी |
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