अध्यात्म त्यौहार-व्रत

जानिये क्या है महाशिवरात्रि का महत्व

Written by Bhakti Pravah

शिव तत्व जो भूमि के स्तर से कुछ इंच ऊपर होता है वही शिवरात्रि के दिन नीचे आकर भूमि को छू लेता है। यह पवित्र अवधि ध्यान करके एक गहरा समृद्ध आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करनेका सही समय है। यह आध्यात्मिक विकास और सांसारिक लाभ के लिए एक पवित्र दिन के रूप में माना जाता है।

आज शिवरात्रि के दिन, पदार्थ और चेतना का मिलन होता है। सूक्ष्म जगत और स्थूल जगत साथ में मिलते हैं और यही उत्सव है।

जब हम प्रकृति के नियमों का उल्लंघन करते हैं, तब अशांति होती है। बाढ़, जंगल में आग और अन्य प्राकृतिक आपदाएं और कुछ नहीं बल्कि प्रकृति का क्रोध है। प्रकृति क्रोधित होती है और इसे केवल श्रेष्ठ दिव्य चेतना ही शांत कर सकती है, और वही शिव है। शिव ही प्रकृति के प्रकोप को शांत कर सकते हैं।

तीन प्रकार की अशांति होती हैं:

मन की अशांतिआत्मा की अशांतिप्रकृति की अशांति

शिवरात्रि की रात को हम दिव्यता से प्रार्थना करते हैं कि वे हमें हर प्रकार के दुःख से मुक्त कर दें – मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक, सामाजिक और प्राकृतिक आपदाएं – सबको शान्ति का वरदान दें।

प्रकृति के रहस्य छिपे हुए होते हैं। देखिये, आज हम वाई-फ़ाई के बारे में जानते हैं, लेकिन वाई-फ़ाई का रहस्य तो बहुत लम्बे समय से मौजूद था, पर छिपा हुआ था और यह ईश्वर का वरदान है कि आज विज्ञान में इतनी उन्नति हो रही है। यही वेदों में भी कहा गया है – “केवल आपके हस्तक्षेप द्वारा ही, आपके आशीर्वाद के द्वारा ही विज्ञान व्यक्त हो रहा है और प्रकृति के रहस्य स्वयं को प्रकट कर रहे हैं’। इस अथाह ब्रह्माण्ड के विस्तार को कोई भी मन माप नहीं सकता, इस ब्रह्माण्ड के रहस्य केवल आप (ईश्वर) ही हमें प्रकट कर सकते हैं।”

इसलिये, आज के दिन हम अपने हृदय और आत्मा से पूरे विश्व में शान्ति के लिए प्रार्थना करते हैं, समाज में शान्ति और उन्नति के लिए प्रार्थना करते हैं और ज्ञान में उन्नति और प्रत्येक मनुष्य के सुख के लिए प्रार्थना करते हैं।

आप जैसे भी हैं, ईश्वर आपको स्वीकार करता है। यदि आपको लगता हैं कि आप एक काँटा है, तब भी आपको स्वीकार किया जाएगा। यदि आपको लगता है कि आप एक पत्ता हैं, तब भी आप स्वीकार किये जायेंगे। यदि आपको लगता है कि आप फल हैं या फूल हैं – तो भी आप स्वीकार किये जायेंगे। आप जैसे भी हैं, और आप प्रगति के जिस भी पड़ाव पर हैं, वह एक दिव्यता आपको पूर्ण रूप से स्वीकार करती हैं और यही सत्य है और यही सुन्दर है। शिव का अर्थ है ‘उदारता’, ‘सत्य’ और ‘सुन्दरता’ और इन तीनों को अलग नहीं किया जा सकता।

इसलिए, आज की रात प्रकृति उत्सव मनाती है – इस सृष्टि में उदारता, सत्य और सुन्दरता का उत्सव!

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