अध्यात्म त्यौहार-व्रत

जानिये शनि देव की व्रत विधि और कथा

Written by Bhakti Pravah

शनिवार का व्रत शनि की दशा दूर करने के लिए किया जाता है। इस दिन शनिदेव की पूजा की जाती है जिसमें काला तिल , काले कपड़े , काले उड़द , काले तिल का तेल आदि उपयोग में लाये जाते हैं क्योंकि शनि देव को ये बहुत प्रिय हैं। लोहे के बर्तन में तेल और पैसे रखकर दान किये जाते हैं। शनिवार के दिन बहु को उसके पीहर नहीं भेजा जाता। चना खाते हैं। इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा भी की जाती है। तेल , घी , लकड़ी , कोयला , नमक , और लोहे की वस्तु खरीदना उचित नहीं माना जाता है। इस दिन शनि स्रोत का पाठ करना लाभदायक सिद्ध होता है।

शनिवार के व्रत की कहानी

एक ब्राह्मण को सपने में नीली घोड़ी पर नीले कपड़े पहने एक आदमी दिखाई देता है और कहता है – हे ब्राह्मण देवता  मैं तेरे लगूंगा। ब्राह्मण घबरा कर उठ गया। अगले दिन यही सपना उसे फिर आता है। यह सपना उसे रोज आने लगा । वह परेशान हो गया और चिंता के मारे दुबला होने लगा। उसकी पत्नी ने कारण पूछा तो उसने सपने के बारे में बताया। ब्राह्मणी बोली वे अवश्य ही शनि महाराज होंगे। अबकी बार दिखे तो कहना ” लग जाओ पर सवा पहर से ज्यादा मत लगना ” उस दिन सपना आने पर ब्राह्मण ने कहा लग जाओ पर कितने समय के लिए लगोगे ? शनि जी बोले – साढ़े सात वर्ष का लगूंगा। ब्राह्मण ने कहा – क्षमा करें शनि जी इतना भारी तो मुझसे झेला नहीं जायेगा। तब शनि जी बोले – तो पांच वर्ष का लग जाऊंगा। ब्राह्मण बोला  – यह भी मेरे लिए ज्यादा है। शनि जी बोले – ढ़ाई साल का लग जाऊं ? ब्राह्मण ने मना किया तो शनि जी कहने लगे सवा पहर का तो लगूंगा ही। इतना तो कोढ़ी , कलंगी , भिखारी के भी लग जाता हूँ। तब ब्राह्मण ने कहा – ठीक है। ब्राह्मण को सवा पहर की शनि की दशा लग गई।

ब्राह्मण ने नींद से जागकर ब्राह्मणी से कहा – मेरे सवा पहर शनि की दशा लग गई है। इसलिए मैं जंगल में जाकर यह समय बिताऊंगा। मेरे लिए खाने पीने का सामान बांध दे। मेरे पीछे से किसी से लड़ाई झगड़ा ना हो इसका ध्यान रखना । ज्यादातर घर में ही रहना। बच्चों का भी ध्यान रखना। इस सवा पहर के समय में कोई गाली भी दे तो चुपचाप सुन लेना। बहस मत करना। यह सब समझा कर ब्राह्मण जंगल में चला गया। जंगल में ब्राह्मण एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गया और हनुमान जी का पाठ करने लगा। एक पहर बीत गया। ब्राह्मण ने सोचा बाकि बचा समय रास्ते में बीत जायेगा। इसलिए वहां से चल दिया। रास्ते में एक बाड़ी में मतीरे लगे देखे। माली से एक मतीरा खरीदा , पोटली में बांधा और आगे बढ़ा।

आगे एक आदमी मिला जो असल में शनिदेव थे। ब्राह्मण से पूछा पोटली में क्या है ? उसने कहा मतीरा है। शनि देव बोले दिखाओ। ब्राह्मण ने पोटली खोली। उसमे राजकुमार का कटा हुआ खून से लथपथ सिर दिखा। शनिदेव ब्राह्मण को राजा के पास ले गए और कहा की इस ब्राह्मण ने राजकुमार की हत्या कर दी है। इसके पास पोटली में राजकुमार का सिर है।

राजा ने कहा – मैं यह नहीं देख सकता। इस ब्राह्मण को सूली पर चढ़ा दो। राजा के यहाँ हाहाकार मच गया। ब्राह्मण को सूली पर चढ़ाने से पहले पूछा गया की उसकी कोई आखिरी इच्छा हो तो बताये। ब्राह्मण ने सोचा किसी तरह सवा पहर पूरा करना होगा। उसने कहा वह रोज बालाजी की कथा सुनता है। मरने से पहले अंतिम बार बाला जी की कथा सुनना चाहता हूँ। ब्राह्मण को कथा सुनाने का प्रबंध किया गया।

कथा कहते कहते सवा पहर पूरा हो गया। शनि की दशा टलते ही राजकुमार शिकार खेल कर लौटता हुआ दिखाई दिया। राजकुमार को आता देख राजा बहुत खुश हुआ। लेकिन उसे निर्दोष ब्राह्मण की हत्या का दोष लगने का डर सताने लगा।

उसने तुरंत घुड़सवार सैनिकों को ब्राह्मण को आदर सहित ले आने के लिए भेजा। ब्राह्मण राजदरबार में आया तो राजा ने क्षमा मांगी और पोटली दिखाने के लिए कहा। पोटली खोली तो उसमे मतीरा था।

राजा ने इन सबके बारे में पूछा तो ब्राह्मण ने बताया – मुझे सवा पहर की शनिश्चर की दशा लगी थी इस कारण यह सब तमाशा हुआ। राजा ने पूछा – यह दशा कैसे टलती है ? ब्राह्मण बोला – राजा या सेठ के लगे तो काला हाथी या काला घोड़ा दान करे। गरीब के लगे तो पीपल की पूजा करे।  पूजा करे तब बोले – साँचा शनिश्चर कहिये जाके पाँव सदा ही पड़िए। शनि की कहानी सुने। तिल का तेल और काला उड़द दान करे। काले कुत्ते को तेल से चुपड़ कर रोटी खिलाये तो शनिश्चर की दशा उतर जाती है। राजा ने उसे मतीरा वापस दे दिया।

घर आकर ब्राह्मण ने मतीरा काटा तो उसमे बीज की जगह हीरे मोती निकले। ब्राह्मणी ने पूछा – यह कहाँ से लाये ? आप तो कह रहे थे शनि की दशा लगी है। ब्राह्मण ने कहा – जब दशा लगी थी तो यही मतीरा राजकुमार का सिर बन गया था। उतरती दशा के शनि जी निहाल कर गए।

हे शनि देवता जैसी ब्राह्मण के शनि की दशा लगी वैसी किसी को ना लगे। निहाल सबको करे।

शनिदेव की जय !!!

Leave a Comment