हमारे रसोई घर में शनि देव अन्य ग्रहो की मात्र में अधिक विराज मान है , कभी वे बर्तन के रूप में तो कभी वे तेल और कढ़ाई है कभी वे तवे के रूप में है तो कभी वे ईंधन के रूप में , और कभी स्वाद को बढ़ाने वाले मसालों के रूप में विराज मान होकर हमारे भोजन को बनाने और स्वादिष्ट बनाने में इन का बहुत महत्त्व पूर्ण योगदान माना गया है , कई ऐसी खाने की चीज़ें है जो केवल शनि देव के द्वारा ही पूर्ण हो पाती है जैसे की दहीबड़े , चना पापड़ी, चना मसाले , छोले भठूरे और उड़द के पापड़, आचार , तिल पापड़ी , गुलाब-जामुन जैसी मिठाई में शनि देव का प्रतिनिधित्व है , यहां हम इसका जिक्र इसलिए कर रहे हैं कि इन चटपटी चीजो का प्रतिनिधित्व शनि देव करते हैं और इन सम्पूर्ण वस्तुओ में पड़े स्वादिष्ट मसालों का भी प्रमुख ग्रह शनि ही हे , यहां हम यह भी बताना चाहेंगे कि इन वस्तुओ के बेचने वालों को प्राथमिक व्यापार कर्ता भी कहा जा सकता है। जो शहरों, गांवों और मोहल्लों में इन स्वादिष्ट वस्तुओ को बनाते है और बेचकर लोगों के स्वाद में रस घोलकर आपने ऊपर उठाने का काम करते आ रहे हैं !
शनि देव आम लोगों और छोटे उद्यमों में लगी कार्य शक्ति के संरक्षक की भूमिका भी निभाते हैं , कुटीर उद्योग और लघु उद्योग के प्रमुख करक है , जो सच्चे अर्थों में एक शक्तिशाली समाज और आर्थिक व्यवस्था की नींव रखते हैं ! इन समाज में भुले, छिपे और तिरस्कृत नायकों को शनि सामर्थ्य और संघर्ष बल प्रदान करते हैं। शनि के प्रिय मसालों और अन्य खाद्य पदार्थों में शामिल हैं- चना, काली मिर्च, दही, लौंग, दालचीनी, मूंगफली, जामुन, काली उड़द, सरसों, राई, तिल, तेल, कुलथी, काले फूल, कस्तूरी, सूखे मेवे, पत्थर फूल , तेजपान , एसेंस और अन्य विभिन्न प्रकार के सुंगंधित एवं जायकेदार मसाले है ,जो रसोई को पूर्णता प्रदान करते है !
हम कह सकते हैं कि गरम मसाले में पड़ने वाले अधिकांश मसालों का प्रतिनिधित्व शनि करते हैं। साथ ही गरम मसाले का भी। इस प्रकार कहा जा सकता है कि हमारी रसोई में शनि देव की उपस्थिति सबसे महत्पूर्ण होती है। हमारी माताएं-बहनें जो संस्कृति, संस्कार और प्रेम व्यवहार की राजदूत हैं। उनके इस कार्य निर्वहन में शनि देव का सहयोग अतुलनीय है !
शनि देव से जुड़े खाद्य पदार्थों पर गौर करें तो अधिकांश भोजन में एक अच्छे सहयोगी की भूमिका का निर्वहन करते हैं। एक गुमनाम हीरो की तरह। जिनका जिक्र आम भोजनकर्ता शायद ही कभी करता हो। इससे हमें यही समझ मिलती है कि हम अपने श्रेष्ठ गुणों के साथ हमेशा सहयोग और सक्रियता बनाए रखें। चाहे हमें हमारे हक की ख्याति प्राप्त हो या नहीं। साथ ही ध्यान रखें कि ईश्वर की न्यायप्रणाली में प्रत्येक को उचित पुरस्कार भी अवश्य मिलता है। शनि देव ने खुद भी घोर तिरस्कार और संघर्ष सहने के बाद मेहनत और तपस्या से उचित आदर और सामर्थ्य प्राप्त किया !
Post Credit- पंडित श्री भूपेंद्र शर्मा ( ज्योतिर्विद / शास्त्री )
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