शारीरिक शक्ति से जो कार्य हो सकता है, उससे कई गुना मानसिक शक्ति से हो सकता है. जब मानव गुफावासी था, तब शारीरिक शक्ति से ही कार्य करता था. बुद्धि तो ज्यादा थी ही नहीं. जिसकी ज्यादा शारीरिक शक्ति, वो ही शक्तिशाली कहलाता था. वो ही राजा बनता था. धीरे धीरे इन्सान बुद्धिवान बनता गया.
आज टेक्नोलॉजी के माध्यम से बहुत से कार्य चुटकी बजाते ही कर सकता है. आज भी एक मजदूर यह नहीं समज पाता है, के उससे कम शारीरिक कार्य करनेवाले और ठंडी ए.सी.ऑफिस में बैठकर काम करनेवाले को थकान क्यों लगती है? और उनको ज्यादा पैसा क्यों मिलता है? क्योंकि वह सिर्फ शारीरिक शक्ति और शारीरिक थकान को ही जानता है.
मानसिक शक्ति और मानसिक थकान क्या होती है, उसको पता ही नहीं. आज के ज़माने में जिसकी ज्यादा बुद्धि (मानसिक शक्ति) वो ज्यादा शक्तिशाली, वो ही राज करता है. आजकल ज्यादातर राज करनेवाले या सफल इन्सान शारीरिक रूप से शक्तिशाली नहीं होते.
तो इससे हम कह सकते हैं कि पहले का जमाना शारीरिक शक्तिओं का था, आज का जमाना मानसिक शक्तिओं का है और आगे का जमाना आध्यात्मिक शक्तिओं का आएगा. जिस तरह मजदूर मानसिक शक्ति के बारे में कोई अंदाजा नहीं लगा सकता, उसी प्रकार आज हम भी आध्यात्मिक शक्ति, आध्यात्मिक थकान, आध्यात्मिक शक्तिओं से क्या हो सकता है… वगैरह का ठीक से अंदाजा नहीं लगा सकते.
आजकल के युग में इस दिशा में शुरुआत हो चुकी है. योग, प्राणायाम, रेइकी, प्राणिक हीलिंग, वास्तुविज्ञान, अंकशास्त्र, संगीत चिकित्सा… वगैरह सैंकड़ो प्रकार की थेरेपी में लोग आगे बढ़ रहे हैं. आपने शायद third eye activation course के बारे में सुना होगा. इस कोर्स में 3 डिग्री होती है. पहली डिग्री के बाद आप आँख पर पट्टी बांधकर आपके सामने क्या हो रहा है, वो बड़ी आसानी से बता सकते है और दूसरी डिग्री के बाद आप ५०० पेज की किताब को सिर्फ फ्लिप करके पढ़ सकते हैं और ये भी बता सकते हैं के कौनसे पेज पर क्या बात लिखी है. ये कोर्स १४ साल से कम आयुवाले बच्चों के लिए ही है और मैं इसके बारे में ज्यादा नहीं जानता. कहने का तात्पर्य यह है कि आगे का जमाना आध्यात्मिक शक्तिओं का है, जिसकी अनुभूति करने के लिए रेइकी सब से सलामत, अच्छा और सरल माध्यम है.
रेइकी के बारे में शब्दों से नहीं समजाया जा सकता क्योंकि यह अनुभूति की बात है. जैसे आप चाय के स्वाद के बारे में कैसे किसी को समजा सकेंगे? चाय पीने से हो अनुभूति होती है, वो शब्दों से कैसे समजा सकते है? उसी प्रकार आप एक बार अपने शहर के किसी रेइकी मास्टर से रेइकी सीख लीजिये, तभी समज पाएंगे के रेइकी क्या है. फिर भी रेइकी की प्राथमिक बातें लिखता हूँ :
रेइकी – शब्द का मतलब :
जापानीज भाषा में ‘रेइ’ यानि विश्वव्यापी और ‘की’ यानि जीवनशक्ति. दूसरे शब्दों में विश्व में फैला हुआ इश्वर के प्रेम का अलौकिक प्रकाश.
रेइकी क्या है? :
समूचे ब्रह्मांड में फैली हुई पवित्र जीवनशक्ति ही रेइकी है. इस जीवनशक्ति का कैसे उपयोग करना है, ये सिखानेवाली पद्धति यानि कुदरती उपचार की ‘रेइकी’ पद्धति.
रेइकी क्या नहीं है? :
रेइकी कोई धर्म, पंथ या जाति नहीं है. तंत्र-मंत्र, मैली विद्या या राक्षसी विद्या नहीं है. संमोहन या हिप्नोटीझम या अन्य कोई मानसशास्त्रीय पद्धति नहीं है. कोई चमत्कार या जादुमंतर नहीं है. यह कोई कठिन साधना नहीं है.
रेइकी कैसे सीखें? :
१० साल से ऊपर का कोई भी व्यक्ति प्रथम डिग्री सीख सकता है, द्वितीय डिग्री १२ साल के बाद सीखनी चाहिए.
रेइकी की प्रथम डिग्री शारीरिक स्तर पर कार्य करती है. प्रथम डिग्री सिखने के बाद –
– हररोज ७२ मिनट्स की प्रैक्टिस करनी होती है. उसमें शरीर के २४ पॉइंट्स पर 3 मिनट रेइकी (उर्जा) दी जाती है.
– शरीर से ज़हरीले द्रव्य (TOXINStoxins) निकल जाते है.
– अंत:स्रावी ग्रंथियां (glends) संतुलित होती है, जिससे शरीर की सभी क्रियाओं का नियमन होता है.
– शरीर चेतनवंत (active) बनता है.
– छोटी-मोटी बीमारियाँ दूर होती है.
– शरीर स्थितिस्थापक (flexible) बनता है.
– परिवारजनों को रेइकी दे सकते हैं. व्यावसायिक रूप से अन्य व्यक्ति को भी रेइकी दे सकते हैं.
२१ दिन के बाद रेइकी की द्वितीय डिग्री ले सकते है. यह मानसिक स्तर पर कार्य करती है. द्वितीय डिग्री सिखने के बाद –
– प्रैक्टिस का समय कम हो जाता है.
– किसी भी व्यक्ति को दूर बैठे रेइकी दे सकते है.
– किसी घटना, इच्छा, संकल्प या हेतु को रेइकी उर्जा देकर उसके इच्छित परिणाम पा सकते हैं.
स्थल और समय की मर्यादा को पार करके रेइकी उर्जा का प्रयोग कर सकते है. भविष्य में बननेवाली घटना को आज से रेइकी उर्जा दे सकते हैं.
– जिस कार्य में उर्जा कम पड़ती है, वह कार्य सफल नहीं होता. उसको रेइकी उर्जा देकर सफल बनाया जा सकता है, जैसे व्यापार, कला, हुनर… इत्यादि
6 महीने बाद रेइकी की तृतीय डिग्री ले सकते हैं. यह आध्यात्मिक स्तर पर कार्य करती है. तृतीय डिग्री सिखने के बाद –
– एक साथ बहुत सारे लोगों को और उद्देश्यों को रेइकी उर्जा दे सकते है.
– जहाँ संभावनाएं शून्य होती है, वहा संभावना पैदा करती है.
उदहारण : अगर घुटने में दर्द है, तो प्रथम डिग्री से रेइकी उर्जा देने से राहत मिलेगी. जितने दिन रेइकी देंगे उतने दिन फायदा रहेगा. हम अपने डर को घुटने में संग्रह करते हैं. डर के कारन ही घुटने का दर्द होता है. दूसरी डिग्री से रेइकी उर्जा देने से मन से डर दूर हो जाता है और इससे घुटने का दर्द भी शांत होता है. तृतीय डिग्री के बारे में द्वितीय डिग्री के कोर्स में विस्तृत चर्चा की जाती है.
रेइकी दीक्षा (समस्वरताप्रदान) Attunement :
हरेक डिग्री में रेइकी दीक्षा यानि समस्वरताप्रदान दिया जाता है. यह क्रिया शक्तिपात की है, जो रेइकी मास्टर (गुरु) अपने शिष्य पर करते हैं. इस क्रिया के दरम्यान गुरु शिष्य के शरीर में उर्जास्तर पर एक रास्ता बनाता है, जिससे उर्जा ज्यादा मात्रा में शरीर में प्रवाहित हो सके. यह एक गुप्त क्रिया है. इस क्रिया के बाद २१ दिन तक शरीर के शुद्धिकरण का कार्य शुरू हो जाता है और जहरीले द्रव्य और नकारात्मक शक्ति दूर हो जाते हैं.
रेइकी कोर्स में शरीर के चक्र (शक्तिकेंद्र) और औरा (स्थूल शरीर के आजुबाजू अन्य 6 शरीर), उनका कार्य, समस्वरताप्रदान (शक्तिपात), रेइकी की खोज किसने और कैसे की – उसका इतिहास, रेइकी उर्जा कैसे ली जाती है और दूसरों को कैसे दी जाती है, उसकी थियरी और प्रेक्टिकल्स, समूह रेइकी सारवार, चक्रध्यान… इत्यादि शामिल होता है.
प्रथम डिग्री रेइकी से आप खुदको, परिवारजनों को और अन्यों को, अपने पालतू प्राणीओं को उर्जा देकर स्वस्थ और तंदुरस्त बना सकते हैं. अपनी चीजवस्तुओं को हकारात्मक उर्जा प्रदान कर सकते हैं. द्वितीय डिग्री रेइकी से आप अपने और दूसरे के उद्देश्यों, इच्छाओं, कार्यशक्ति को, घटनाओं को उर्जा दे सकते हैं.
रेइकी क्या नहीं करती ? :
– रेइकी से किसी का बुरा नहीं हो सकता.
– इन्फेक्शनवाले रोग-बीमारी पर रेइकी का असर बहुत कम है, क्योंकि ऐसे रोग जीवाणु-कीटाणु से होते हैं और रेइकी जीवनशक्ति है, किसी को मार नहीं सकती.
– जो नसीब में ना हो या अशक्य हो, वहा रेइकी कार्य नहीं करेगी.
– जो चीज ख़राब हो चुकी है, वह रेइकी से सुधर नहीं सकती, जैसे किसी की किडनी डैमेज हो चुकी है, वो फिर से पुनर्जीवित नहीं हो सकती.
आप अपने शहर में किसी भी रेइकी मास्टर को ढूंढ लीजिये और रेइकी की कम से कम दो डिग्री अवश्य सीखिए. इससे समर्थता आती है.
आशीष कुमार प्यासी समधिकारसेवा संयुक्तहितविकास आदर्शचरित्रजनसंघएकता भारतीय जन जागरूकता अभियान परिषद् मानवधर्म अनुरूप पदधिकार अनुसार कर्तव्यसेवा का पलान ओर उपयोग लक्ष्यनुसार करना ओर करवाना चाहिए देश हित में।