राहु-केतु ग्रह अचानक से परिवर्तन करते हैं। राहु अपनी शुभ अवस्था में अचानक से लाभ करवाता है।
वहीं राहु या केतु के अशुभ स्थिति में होने पर अचानक से कोई बुरी घटना की खबर लग सकती है।
कैसा होता है राहु और केतु का कुंडली में स्वभाव
राहु और केतु राक्षस ग्रह होने के कारण तामसिक ग्रह है। राक्षस ग्रह होने के कारण ही ये स्वभाव से चालाक, धूर्त और आलस देने वाले ग्रह है।
राहु का जन्मपत्रिका के प्रथम भाव में बैठने पर ये व्यक्ति को आलसी बनाता है। ऐसा व्यक्ति चतुर होता है।
लेकिन अपने कामों में आलसी होता है। दूसरों को शक की निगाह से देखना इनकी आदत होती है। कुंडली के पहले घर में राहु के स्थित होने पर व्यक्ति स्वयं के कार्य रुक-रुककर करेगा। ऐसा ये जानबूझकर नहीं करते हैं बल्कि कार्य करने की गति ही धीमी होती है।
दूसरे घर का राहु होने पर पुश्तैनी जमीन-जायदाद में परेशानी खड़ी करता है।
तीसरे घर का राहु बहुत शुभ होता है। व्यक्ति अपने कार्याे में जबरदस्त साहस दिखाता है।
चौथे घर का राहु बहुत ही अधिक कष्टदायक होता है। घर से संबंधित मामलों में रुकावटें खड़ी करता है। अपनी महादशा में घर में भयंकर झगड़े करवा सकता है। ऐसे राहु के कुप्रभाव से बचने के लिए हर शनिवार को बहते पानी में एक नारियल बहाना चाहिए। साथ ही शनिवार के दिन घर में गुग्गुल की धूप देना चाहिए।
पांचवे स्थान का राहु पितृदोष बनाता है। संतान के जन्म होने में परेशानी खड़ी करता है। अधिक आयु में संतान का जन्म होता है। भगवान शिव का पूजन करने से इस दोष से मुक्ति मिलती है।
छठे घर का राहु होने से व्यक्ति के शत्रु अपने आप ही रास्ता बदल लेते हैं।
सातवे घर का राहु वैवाहिक जीवन में काफी उतार-चढ़ाव लाता है।
आठवे घर का राहु अच्छा नहीं माना गया हैं। ज्योतिष में आठवे घर के राहु के लिए कहा गया है कि किसी बीमारी या एक्सीडेंट की वजह से शरीर को कष्ट मिलता हैं। ऐसे राहु के कष्ट से बचने के लिए अष्टधातु का कड़ा अपने हाथ में पहनना चाहिए। साथ ही एक नारियल हर शनिवार नदी में बहाना चाहिए। हर शनिवार को शिव मंदिर में दीपक जलाएं। ऊँ जूं सः मंत्र का जप 108 बार करें।
नवां घर का राहु भाग्योदय में दिक्कतें खड़ी करता है।
दसवां घर का राहु राजनीति और खेल जीवन में जबरदस्त सफलता देता है।
ग्यारहवां घर का राहु होने पर व्यक्ति की आय के कई साधन हो सकते है। ऐसा व्यक्ति पैसा जल्दी कमाने की तकनीक लगाते है।
बारहवां घर का राहु के लिए शास्त्रों में कहा गया है कि यह व्यक्ति को खर्चीली जीवनशैली प्रदान करता हैं। अपने पैसों को लाटरी, जुआ, सट्टा जैसे कार्य में लगाता है। जिससे पैसे का दुरुपयोग होता है।
इस दोष से बचने के लिए हनुमान जी के मंदिर में हर मंगलवार और शनिवार को चमेली के तेल का दीपक जलाएं। जितनी श्रद्धा व शक्ति हो उस तरीके से पूजन मंदिर में करें।
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