निर्जला एकादशी आज रात 3:20 पर लग जायेगी। और कल रात 3:52 बजे तक रहेगी। हिन्दू माह के ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है। निर्जला यानि यह व्रत बिना जल ग्रहण किए और उपवास रखकर किया जाता है। इसलिए यह व्रत कठिन तप और साधना के समान महत्त्व रखता है। हिन्दू पंचाग अनुसार वृषभ और मिथुन संक्रांति के बीच शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी कहलाती है। इस व्रत को भीमसेन एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि भोजन संयम न रखने वाले पाँच पाण्डवों में एक भीमसेन ने इस व्रत का पालन कर सुफल पाए थे। इसलिए इसका नाम भीमसेनी एकादशी भी हुआ।
हमारे यहाँ 24 एकादशी व्रत में द्वादसवेदी एकादशी व्रत की प्रधानता होती है इसलिए निर्जला एकादशी मे भी द्वादसवेदी मत से और व्रत के पारण की दृष्टि से निर्जला एकादसी व्रत रविवार 24 जून का ही मान्य है जिसमे रविवार सायं 5 बजे पारण (जलग्रहण)सम्भव है
जबकि 23 जून को व्रत रखने वालो का पारण(जल ग्रहण) 23 जून सायं को सम्भव ही नही है अतः उन्हें भी पारण दूसरे दिन यानी 24 जून रविवार दोपहर 1:46 से सायं 4:30 तक करना होगा। जो एक असम्भव कार्य है इस गर्मी के मौसम में ।
इसलिए निर्जला एकादशी 24 जून को ही रखना सबसे उचित है सायं 5 बजे आसानी से जलग्रहण कर पारण करें।
पोस्ट क्रेडिट : आचार्य पंडित श्री राजेश शास्त्री जी (दंदरौआ धाम)
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