शिशुपाल कृष्ण की बुआ का लड़का था। जब शिशुपाल का जन्म हुआ तब उसके 3 नेत्र तथा 4 भुजाएं थीं। वह गधे की तरह रो रहा था। माता-पिता उससे घबराकर उसका परित्याग कर देना चाहते थे, लेकिन तभी आकाशवाणी हुई कि बालक बहुत वीर होगा तथा उसकी मृत्यु का कारण वह व्यक्ति होगा जिसकी गोद में जाने पर बालक अपने भाल स्थित नेत्र तथा दो भुजाओं का परित्याग कर देगा।
इस आकाशवाणी और उसके जन्म के विषय में जानकर अनेक वीर राजा उसे देखने आए। शिशुपाल के पिता ने बारी-बारी से सभी वीरों और राजाओं की गोद में बालक को दिया। अंत में शिशुपाल के ममेरे भाई श्रीकृष्ण की गोद में जाते ही उसकी 2 भुजाएं पृथ्वी पर गिर गईं तथा ललाटवर्ती नेत्र ललाट में विलीन हो गया। इस पर बालक की माता ने दु:खी होकर श्रीकृष्ण से उसके प्राणों की रक्षा की मांग की। श्रीकृष्ण ने कहा कि मैं इसके 100 अपराधों को क्षमा करने का वचन देता हूं। कालांतर में शिशुपाल ने अनेक बार श्रीकृष्ण को अपमानित किया और उनको गाली दी, लेकिन श्रीकृष्ण ने उन्हें हर बार क्षमा कर दिया।
ज्योतिष एवं भागवताचार्य – श्री राजेश शाश्त्री जी (फूप जिला-भिंड (म. प्र.)
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