अध्यात्म त्यौहार-व्रत

क्योँ किया जाता है कन्या पूजन

Written by Bhakti Pravah

नौ दुर्गा का मतलब नौ वर्ष की कन्या की पूजा करना होता है. कन्या पूजन दो वर्ष की कन्या से शुरू किया जाता है.

2 वर्ष की कन्या को ‘ कुमारिका ‘ कहते हैं और इनके पूजन से धन , आयु , बल की वृद्धि होती है .

3 वर्ष की कन्या को ‘ त्रिमूर्ति ‘ कहते हैं और इनके पूजन से घर में सुख समृद्धि आती है .

4 वर्ष की कन्या को ‘ कल्याणी ‘ कहते हैं और इनके पूजन से सुख तथा लाभ मिलते हैं .

5 वर्ष की कन्या को ‘ रोहिणी ‘ कहते हैं इनके पूजन से स्वास्थ्य लाभ मिलता है .

6 वर्ष की कन्या को ‘ कालिका ‘ कहते हैं इनके पूजन से शत्रुओं का नाश होता है .

7 वर्ष की कन्या को ‘ चण्डिका ‘ कहते हैं इनके पूजन से संपन्नता ऐश्वर्य मिलता है .

8 वर्ष की कन्या को ‘ साम्भवी ‘ कहते हैं इनके पूजन से दुःख-दरिद्रता का नाश होता है .

9 वर्ष की कन्या को ‘ दुर्गा ‘ कहते हैं इनके पूजन से कठिन कार्यों की सिद्धि होती है .

10 वर्ष की कन्या को ‘ सुभद्रा ‘ कहते हैं इनके पूजन से मोक्ष की प्राप्ति होती है .

कन्या पूजन के दौरान किए जाने वाला उपाय –

जिस दिन कन्या खिलाना हो, उसके एक दिन पहले 108 हरी चूड़िया माँ के चरनो मे समर्पित करे और माँ से बल, बुद्धि, विद्या एवं सुख प्राप्ति की कामना करे. साथ मे

“ॐ नमो भगवती जगदंबा सर्व कामना सिद्धि ॐ”

का 324 बार उच्चारण करे तथा दूसरे दिन 12 चूड़िया 9 कन्याओ मे बाँट दे.

9 कुँवारी कन्या का पूजन करे और उन्हे उपहार स्वरूप काजल की डिब्बिया अवश्य दे,और ज्यादा से ज्यादा इस मंत्र का जाप करे –

“ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ॐ नमः”

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