शास्त्रो के अनुसार आज के युग मे देव गण वाले व्यक्ति निशक्रीय तथा भीरू होते है ! सतयूग मे इस गण की प्रधानता थी ,कलियुग मे राक्षस गण प्रधान माना गया है ! देव गण वाले व्यक्तियो को आसानी से समझा नही जा सकता है किसी भी विषय पर उनकी चुप्पी को उनकी बेवकुफी समझा जाता है ! सामने वाला व्यक्ती उनसे आग्रह पूर्वक य़ा यूँ कहे की थोड़ा सा प्यार जता कर अपना उल्लू सीधा करवा लेता है ! चुंकी आज के परीवेश मे अशांत तथा प्रदूषण का वातावारण है इसलिये देव गण वाले व्यक्ति आसानी से माहोल मे सामंजस्य नही बैठा पाते इसलिये सबसे पहले रोग का शिकार बनते है विशेषकरअवसाद य़ा ड़ीपरेशन का !
अपनी बात दूसरो के सामने कहने से घबराते है नर्वस बहुत जल्दी होते है !
देव गण वाले व्यक्तियो के लिए कानुन मर्यादा शिष्टाचार संस्कार आदि का विशेष महत्व होता है इसलिये समाज मे इन्हे अलग थलग सा महसुस होता है !
ये व्यक्ती दिलो दिमाग से बहुत खुले विचारो के होते है खुद शांति से रहना तथा दूसरो को भी शांति प्रदान करना इनका मूल स्वभव होता है इसलिये कुतरक की आशा नही की जा सकती है !
देव गण वाले व्यक्ती इस युग मे खुद को ठगा सा महसुस करते हे, इनकी दिन चर्या व्यवस्थित तथा सुचारू होती है अन्य गण वाले लोगो को इनसे प्रेरणा लेनी चाहिये!
देव गण वाले व्यक्ती कुशल व्यवस्थापक हो स्कते है !
Post : Astro Pushpa Sharma Ji
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