16 साल बाद शनि जन्म व अमावस्या पर सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश अच्छी वर्षा का योग बना रहा है। 25 मई को सुबह 08.14 बजे रोहिणी लग गयी है। 13 दिन की रोहिणी में शुरू के 9 दिन खास होंगे। रोहिणी 6 जून की दोपहर 03.30 बजे समाप्त होगी।
आमतौर पर अमावस्या से 7 दिन पहले या 4 दिन बाद सूर्य का नक्षत्र परिवर्तन होता है। इस बार अमावस्या के दिन वह भी शनि जन्म के साथ सूर्य कृतिका नक्षत्र से निकलकर रोहिणी में प्रवेश कर गये हैं। इसके पहले ऐसा योग सन् 2001 में बना था। चूंकि सूर्य व शनि के बीच पिता-पुत्र का संबंध है, ज्येष्ठ अमावस्या पर सूर्य का रोहिणी में प्रवेश कराना विशिष्ट घटना होगी। रोहिणी नक्षत्र का दिशा अनुक्रम उत्तर-दक्षिण की तरफ है। यह केरल में समय पर मानसून की शुरुआत के संकेत हैं। संयोग से इस दिन सूर्य का वृषभ में, शनि का धनु में वक्र काल होने से भी दृष्टि संबंध बन रहा है। इसलिए रोहिणी लगने से पहले 28, 29, 30 मई को उमस व 31 मई, 1, 2 जून को वर्षा होने के प्रबल योग बन रहे हैं।
रोहिणी का वास समुद्र तट पर, मेघ पति गुरु इस बार अच्छी बारिश होने के इसलिए भी योग बन रहे हैं क्योंकि रोहिणी का वास समुद्रतट पर, समय का वास धोबी के घर और पानी बरसाने वाले मेघ के पति इस बार गुरु हैं। यह स्थिति उत्तम वर्षा के लिए श्रेष्ठ व सक्षम मानी जाती है। इस वर्ष संवर्त मेघ और नवधा मेघ के वर्षा करने से कहीं अतिवृष्टि से तो कहीं अल्पवृष्टि और औसत दृष्टि से सामान्य वर्षा के योग बनेंगे किंतु कृषि के लिए तो अच्छी वर्षा होगी। वर्षा ऋतु का आरंभ 20 जून से इस वर्ष वर्षा ऋतु का आरंभ आषाढ़ कृष्ण एकादशी मंगलवार तारीख 20 जून से होगा। सूर्य का बारिश के नक्षत्र आर्द्रा में प्रवेश 22 जून को हो रहा है। आर्द्रा प्रवेश के समय कन्या लग्न व ग्रह स्थिति से पश्चिम दिशा के प्रांतों में उत्तम वृष्टि के योग बन रहे है।
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