अध्यात्म स्वास्थय

दिन में सोना क्यों वर्जित बताया गया है शाश्त्रों में

हमारे धर्म शास्त्रों कई ऐसी सामान्य बातें बताई गई है जिसका यदि हम ध्यान रखें तो तन मन धन से सुखी रह सकते है इसी में एक है हमारा  दिन में सोना क्योँ वर्जित माना गया है। शास्त्रों में लिखा है- दिवास्वापं च वर्जयेत्।अर्थात दिन में सोना उचित नहीं है।देखने में आता है कि अधिकांश घरेलू महिलाएं तथा दो पारियों में काम करने वाले पुरूष दिन में सोते हैं।

दिन में सोना सिर्फ शास्त्रों में ही वर्जित नहीं माना गया अपितु आयुर्वेद भी इस बात की पुष्टि करता है कि दिन में सोने से कई प्रकार के रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।

आयुर्वेद के अनुसार दिन में सोने से प्रतिश्याय जुकाम हो जाता है। यह जुकाम जब स्थायी हो जाता है तो कास रोग हो जाता है। कास रोग ही आगे जाकर श्वास रोग में बदल जाता है। श्वास रोगी के फेफड़े धीरे- धीरे खराब हो जाते हैं और यह स्थिति क्षय अर्थात तपेदिक जैसे असाध्य रोग में बदल जाती है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी रात में पूरी नींद लेकर दिन में कार्य करना ही उत्तम माना गया है। रात की नींद से शरीर को पर्याप्त आराम मिलता है। जिससे सुबह उठकर शरीर में नवीन ऊर्जा का संचार होता है जो दिनभर के कार्यों के लिए पर्याप्त होती है। दिन में सोकर हम अनावश्यक रूप से शरीर को आलस्य का घर बनाते हैं। अत: रात में भरपूर गहरी नींद लेकर दिन में कार्य करना ही उचित माना गया है।

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