शनिवार के दिन अक्सर आपने कुछ लोगो को हाथ में बाल्टी लिए कुछ मांगते जरूर देखा होगा |शायद आप में से कुछ लोगो ने उस बाल्टी में रुपये पैसे या फिर तेल अर्पण भी किया होगा | बाल्टी के अंदर एक लोहे की प्रतिमा रहती है, जो भगवान् शनि का प्रतीकात्मक रूप है| लेकिन क्यों लोग इस प्रतिमा पर या मंदिर जाकर शनि भगवान् को तेल चढ़ाते हैं, क्या आपने कभी सोचा है? क्या अपने कभी इस पर विचार किया है कि तेल भगवान् शनि को क्यों प्रिय है? अगर नहीं किया तो आज हम इस लेख में बताएँगे कि भगवान शनि को तेल क्यों चढ़ाया जाता है | भगवान को तेल चढ़ाने के पीछे दो पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं | आइये,जानते हैं उन कथाओं को…
पहली पौराणिक कथा : भगवान हनुमान प्रभु श्री राम का सन्देश लेकर लंका जाते हैं | कहते हैं रावण ने अपने उत्पात के चलते समस्त ग्रहों को लंका में बंदी बना लिया था | इन ग्रहों में शनि जी भी थे किन्तु रावण ने शनि जी को उल्टा टांग रखा था | काफी समय से उल्टे टंगे रहने के कारण शनि की देह पर गहरे घाव हो गये थे| जब हनुमान जी भगवान् राम का सन्देश रावण से कहे तो बदले में रावण ने उनकी पूँछ में आग लगा दी |हनुमान जी ने पूँछ से सारी लंका जला डाली | सारे ग्रह रावण के कैद से मुक्त हो गये , किन्तु उल्टे लटके होने से शनि जी आज़ाद नहीं हो पाए तब हनुमान जी ने शनि देव को चुपके से आज़ाद करके शनि जी के घावों पर तेल लगाया, जिससे शनि देव को आराम मिला | तब शनि देव ने कहा की जो भक्त मुझे तेल अर्पण करेगा मैं उसका कभी अहित नहीं करूँगा| अपनी कृपा दृष्टि उस पर बनाये रखूँगा |
दूसरी पौराणिक कथा : हनुमान जी की प्रसिद्धी चहुँ ओर फ़ैल चुकी थी | शनि जी को अपने बल पराक्रम का घमंड हो चला था | उन्हें जब हनुमान के पराक्रम का पता चला तो वे उनसे युद्ध करने निकल पड़े | जब शनि जी हनुमान जी के पास पंहुचे तब देखा वो भगवान् राम के ध्यान में मग्न हैं | शनि हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकारने लगे हनुमान जी ने मना किया किन्तु शनि जी माने नहीं | अंततः हनुमान जी और शनि जी में युद्ध हुआ | शनि जी युद्ध में हार गये | उनका अहम् भी टूट गया | युद्ध में शनि जी की देह पर अनेकों घाव हो गये तब हनुमान जी ने शनि जी के घावों पर तेल लगाया | जिससे उनकी पीड़ा कम हुई तब शनि जी ने प्रसन्न होकर कहा जो भक्त मुझे तेल का दान करेगा | मैं उसे कभी कोई कष्ट नहीं दूंगा हमेशा अपनी दया दृष्टि उस भक्त पर बनाये रखूँगा |
संक्षिप्त टिप्पणी : हनुमान जी एवं शनि जी गुरु भाई हैं | हनुमान जी सूर्य भगवान् के शिष्य हैं वही शनि जी सूर्य पुत्र | हनुमान जी की उपासना से भी भगवान् शनि प्रसन्न होते हैं | ग्रहों में शनि की पूजा भक्त डर के भाव से ज्यादा करते हैं |
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