अध्यात्म त्यौहार-व्रत

क्या है महत्व निर्जला एकादशी का (05 जून 2017)

Written by Bhakti Pravah

हमारे भारत देश में एकादशी व्रत हिन्दू धर्म में सबसे अधिक प्रचलित व्रत माना जाता है। हिन्दू धर्म में वर्ष में चौबीस एकादशियाँ आती हैं, किन्तु इन सभी एकादशियों में ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी सबसे बढ़कर फल देने वाली मानी जाती है क्योंकि इस एक एकादशी का व्रत रखने से वर्ष भर की एकादशियों के व्रत का फल प्राप्त होता है। निर्जला-एकादशी का व्रत अत्यन्त संयम साध्य है। इस युग में यह व्रत सम्पूर्ण सुख़ भोग और अन्त में मोक्ष कहा गया है। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों पक्षों की एकादशी में अन्न खाना वर्जित है।

क्या है पौराणिक महत्त्व – हिन्दू माह के ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है। निर्जला यानि यह व्रत बिना जल ग्रहण किए और उपवास रखकर किया जाता है। इसलिए यह व्रत कठिन तप और साधना के समान महत्त्व रखता है। हिन्दू पंचाग अनुसार वृषभ और मिथुन संक्रांति के बीच शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी कहलाती है। इस व्रत को भीमसेन एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि भोजन संयम न रखने वाले पाँच पाण्डवों में एक भीमसेन ने इस व्रत का पालन कर सुफल पाए थे। इसलिए इसका नाम भीमसेनी एकादशी भी हुआ।

हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का मात्र धार्मिक महत्त्व ही नहीं है, इसका मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के नज़रिए से भी बहुत महत्त्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की आराधना को समर्पित होता है। इस दिन जल कलश, गौ का दान बहुत पुण्य देने वाला माना गया है। यह व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है। यह व्रत पुरुष और महिलाओं दोनों द्वारा किया जा सकता है। वर्ष में अधिकमास की दो एकादशियों सहित 26 एकादशी व्रत का विधान है। जहाँ साल भर की अन्य 25 एकादशी व्रत में आहार संयम का महत्त्व है। वहीं निर्जला एकादशी के दिन आहार के साथ ही जल का संयम भी ज़रूरी है। इस व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है यानि निर्जल रहकर व्रत का पालन किया जाता है।

क्या है मान्यता – ऐसी अटूट धार्मिक मान्यता है कि कोई भी व्यक्ति मात्र निर्जला एकादशी का व्रत करने से साल भर की पच्चीस एकादशी का फल पा सकता है। यहाँ तक कि अन्य एकादशी के व्रत भंग होने के दोष भी निर्जला एकादशी के व्रत से दूर हो जाते हैं। कुछ व्रती इस दिन एक भुक्त व्रत भी रखते हैं यानि सांय दान-दर्शन के बाद फलाहार और दूध का सेवन करते हैं।

Leave a Comment