ज्योतिष कोई जादू की छड़ी नहीं है ! ज्योतिष एक विज्ञानं है ! ज्योतिष में जो ग्रह आपको नुकसान करते है, उनके प्रभाव को कम कर दिया जाता है और जो ग्रह शुभ फल देता है, उनके प्रभाव को बढ़ा दिया जाता है ! आज के इस युग में हर मोड़ पर ज्योतिष की दूकान मिल जाएगी पर दुःख की बात यह है आजकल ज्योतिष किताबी ज्ञान रखते है वास्तविकता से कोसो दूर है ! किसी ज़माने में ज्योतिष का काम बहुत पवित्र होता था पर आज के ज्योतिष तो बस यजमान को ठगने में लगे है !
हमारे ज्योतिष आचार्यो ने शनि को छटवे, आठवे, दशवे और बारवे भाव का पक्का कारक माना है जबकि राहु एक छाया ग्रह है ! एक मान्यता के अनुसार राहु और केतु का फल देखने के लिए पहले शनि को देखा जाता है क्योंकि यदि शनि शुभ फल दे रहे हो तो राहु और केतु अशुभ फल नहीं दे सकते और यह भी माना जाता है कि शनि का शुभ फल देखने के लिए चंद्रमा को देखा जाता है ! कहने का भाव यह है कि प्रत्येक ग्रह एक दुसरे पर निर्भर है ! इन सभी ग्रहों में शनि का विशेष स्थान है !
शनि से मकान और वाहन का सुख देखा जाता है साथ ही इसे कर्म स्थान का कारक भी माना जाता है,यह चाचा और ताऊ का भी कारक है ! राहु को आकस्मिक लाभ का कारक माना गया है ! राहु से कबाड़ का और बिजली द्वारा किये जाने वाले काम को देखा जाता है ! राहु का सम्बन्ध ससुराल से होता है अगर ससुराल से दुखी है तो राहु ख़राब चल रहा है ! ज्योतिष का मानना है कि राहु और केतु जिस भी ग्रह के साथ आ जाते है वो ग्रह दुषित हो जाता है और शुभ फल छोड़ देता है ! ऐसे कई योग है आज हम राहु और शनि की बात करेगे माना जाता है यदि शनि और राहु एक साथ एक ही भाव में आ जाये तो व्यक्ति को प्रेत बाधा आदि टोने टोटके बहुत जल्दी असर करते है क्योंकि शनि को प्रेत भी माना जाता है और राहु छाया है ! इसे प्रेत छाया योग भी कहा जाता है पर सामान्य व्यक्ति इसे पितृदोष कहता है !
एक कथा के अनुसार जब हनुमान जी ने राहु और केतु को हाथो में पकड़ लिया था और शनि को पूँछ में तब शनि महाराज ने कहा था आज जो हमें इस बालक से छुड़ा देगा उसे हम जीवन में कभी परेशान नहीं करेगे यदि किसी की कुंडली में यह तीनो ग्रह परेशान कर रहे हो तो एक साबर विधि से इन्हें हनुमान जी से छूडवा दिया जाता है ! फिर यह जीवन भर परेशान नहीं करते आने वाले समय में इस विधि पर भी चर्चा करेगे,यदि राहु की बात की जाये तो राहु जब भी मुशकिल में होता है तो शनि के पास भागता है ! राहु सांप को माना गया है और शनि पाताल मतलब धरती के नीचे सांप धरती के नीचे ही अधीक निवास करता है !
इसका एक उदहारण यह भी है कि यदि किसी चोर या मुजरिम राजनेता रुपी राहु पर मंगल रुपी पुलीस या सूर्य रुपी सरकार का पंजा पड़ता है तो वे अपने वकील रुपी शनि के पास भागते है ! सीधी बात है राहु सदैव शनि पर निर्भर करता है पर जब शनि के साथ बैठ जाता है तो शनि के फल का नाश कर देता है !
यह सब पुलिस वकील आदि किसी न किसी ग्रह के कारक है ! शनि उस व्यक्ति को कभी बुरा फल नहीं देते जो मजदूरों और फोर्थ क्लास लोगो का सम्मान करता है क्योंकि मजदूर शनि के कारक है ! जो छोटे दर्जे के लोगो का सम्मान नहीं करता उसे शनि सदैव बुरा फल ही देते है!
Post Credit : Vikram Prakash Raisoni Ji
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