अध्यात्म

जानिये क्योँ हिन्दू धर्म में बताएं गए है यह भोजन करने के नियम

Written by Bhakti Pravah

शरीर के अंगों को सेहतमंद रखने के लिए हमें पौष्टिक आहार की जरूरत होती है। ये पौष्टिक आहार न केवल आपको कई बीमारियों से दूर रख पाएंगी बल्कि आपका मूड भी बेहतर करेगी। वैसे एक स्वस्थ्य आहार लेने से पहले हमें भोजन करने के नियम पर ध्यान देना चाहिए। यह नियम एक ऐसा है जिसे पालन किया जाए तो व्यक्ति के जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं रहती।

जानिये भोजन करने के नियम

1. हिंदू धर्म के अनुसार 5 अंगों जिसमें दोनों हाथों, दोनों पैर और मुख शामिल है को अच्छी तरह से धोकर ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।

2. इसके बाद भोजन की शुरुआत करने से पहले अन्नदेवता, अन्नपूर्णा माता की स्तुति करके उनको धन्यवाद देना चाहिए।

3. इसके बाद सभी भूखों को भोजन प्राप्त हो ईश्वर से ऐसी प्रार्थना करके फिर भोजन शुरू करना चाहिए।

4. भोजन पूर्व और उत्तर दिशा की ओर मुंह करके ही करना चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर किया हुआ भोजन प्रेत को प्राप्त होता है। वहीं पश्चिम दिशा की ओर किया हुआ भोजन खाने से बीमारी की वृद्धि होती है।

5. कोशिश यही रहना चाहिए की परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिल बैठकर ही भोजन हो। नियम अनुसार अलग-अलग भोजन करने से परिवारिक सदस्यों में प्रेम और एकता की कमी देखने को मिलती है।

6. इसके अलावा भोजन करने वाला व्यक्ति शैया पर, हाथ पर रखकर या टूटे-फूटे बर्तनों में भोजन न करे।

7. परोसे हुए भोजन की कभी किसी को निंदा नहीं करनी चाहिए। लोभ, रोग, दीनभाव, ईर्ष्या, भय, क्रोध, द्वेषभाव के साथ किया हुआ भोजन कभी पचता नहीं है।

8. ऐसा देखा गया है कि बहुत से लोग खड़े हो भोजन का सेवन करते हैं। आप खड़े होकर भोजन न करें। इसके अलावा जूते पहनकर सिर ढंककर भोजन नहीं करना चाहिए।

9. मल-मूत्र का वेग होने पर, घर में हो रहे कलह के माहौल में, अधिक शोर में, पीपल, वटवृक्ष के नीचे भोजन नहीं करना चाहिए।

10. हिंदू धर्म के अनुसार व्यक्ति को पौष्टिक तथा शकाहारी भोजन का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा गरिष्ठ भोजन कभी न करें।

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