ज्योतिष शाश्त्र में बताया गया एक उपाय आज हम आपको बताने जा रहे हैं। ये उपाय है कछुए की अंगूठी को धारण करना। इस बारे में बहुत से लोग जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोग ये जानते हैं कि ऐसे कैसे धारण करना चाहिए। यदि आप भी ये नहीं जानते तो हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे कछुए की अंगूठी को धारण करें और किस उंगली में इसे पहनना चाहिए।
बहुत से लोग कछुए की अंगूठी को फैशन के लिए पहनते हैं, लेकिन हम आपको बता दें कि वास्तुशास्त्रियों के मुताबिक इसे पहनने से बिजनेस, आत्मविश्वास और सेहत हमेशा ठीक रहती है। घर में पैसे की कमी नहीं होती है। लेकिन ये सब कुछ आप तब तभी पा सकते हैं जब आपको पता हो कि कछुए की अंगूठी को पहनने का सही विधान क्या है। इस तरह पहनें कछुए की अंगूठी, मिलेगा लाभसबसे पहले तो कछुए की अंगूठी को पहनते समय आपको इसके सिर को लेकर ध्यान देना है। कछुए के सिर वाला भाग पहनने वाले की तरफ होना चाहिए। इस से असीम कृपा मिलती है। इस तरह से अंगूठी पहनने से ये पैसे को अपनी तरफ आकर्षित करता है।
इसके अलावा ये भी जानना जरूरी है कि कछुए की अंगूठी को किस उंगली में पहनना चाहिए। हम आपको बता दें कि कछुए की अंगूठी को सीधे हाथ की मध्यमा या तर्जनी उंगली में पहनना चाहिए। इसके अलावा कछुए की अंगूठी हमेशा शुक्रवार को खरीदें।
शुक्रवार को अंगूठी खरीदने के बाद लक्ष्मी जी के सामने दूध और जल से अभिषेक करके पानी से धोकर अगरबत्ती जलाएं। इसके बाद उसके उपर लक्ष्मी सूक्त एवं स्तोत्र आदि के पाठ करें फिर अंगूठी को धारण करें। कछुए वाली अंगूठी को आप अपने हिसाब से डिजायन भी करा सकते हैं। यदि आप चाहें तो इसमें चांदी, सोने में जडे नग द्वारा भी बनवा सकते हैं।समुद्र मंथन की कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के लिए कछुए का अवतार लिया था और देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थी जो विष्णु जी की पत्नी बनी। इसलिए लक्ष्मी के साथ ही कछुए को भी धन बढ़ाने वाला माना गया है।
कछुए को धैर्य, शांति, निरंतरता और सुख-समृद्धि का भी प्रतिक माना जाता है। कछुए वाली अंगुठी चांदी की होगी तो ज्यादा शुभ रहेगा।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, कछुआ भगवान विष्णु का एक अवतार रहा है। कछुआ धैर्य, शांति, निरंतरता और समृद्धि का प्रतीक है।
कछुआ की अंगूठी को को सीधे हाथ में ही पहना जाता है। यहां सीधे हाथ का मतलब है पुरुषों के लिए दाहिना (Right) हाथ और महिलाओं के लिए बायां (Left) हाथ। कछुआ की अंगूठी सीधे हाथ की मध्यमा या तर्जनी अंगुली में इसे पहनें।
ज्योतिष एवं भागवताचार्य – श्री राजेश शाश्त्री जी (फूप जिला-भिंड (म. प्र.)
संपर्क सूत्र : 09753105696
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