कामदा एकादशी व्रत : चैत्र शुक्ल पक्ष में ‘कामदा’ नाम की एकादशी होती है। कहा गया है कि ‘कामदा एकादशी’ ब्रह्महत्या आदि पापों तथा पिशाचत्व आदि दोषों का नाश करनेवाली है । इसके पढ़ने और सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। साल 2017 में कामदा एकादशी व्रत आज के दिन रखा जाएगा।
कथा : प्राचीनकाल में भोगीपुर नगर में पुण्डरीक नामक एक राजा राज्य करता था। उनका दरबार किन्नरों व गंधर्वो से भरा रहता था, जो गायन और वादन में निपुण और योग्य थे। वहाँ किन्नर व गंधर्वों का गायन होता रहता था। एक दिन गन्धर्व ‘ललित’ दरबार में गान कर रहा था कि अचानक उसे अपनी पत्नी की याद आ गई। इससे उसका स्वर, लय एवं ताल बिगडने लगे। इस त्रुटि को कर्कट नामक नाग ने जान लिया और यह बात राजा को बता दी। राजा को ललित पर बड़ा क्रोध आया। राजा ने ललित को राक्षस होने का श्राप दे दिया। ललित सहस्त्रों वर्ष तक राक्षस योनि में घूमता रहा। उसकी पत्नी भी उसी का अनुकरण करती रही। अपने पति को इस हालत में देखकर वह बड़ी दुःखी होती थी। एक दिन घूमते घूमते ललित की पत्नी ललिता विन्ध्य पर्वत पर रहने वाले ऋष्यमूक ऋषि के पास गई और अपने श्रापित पति के उद्धार का उपाय पूछने लगी। ऋषि को उन पर दया आ गई। उन्होंने चैत्र शुक्ल पक्ष की ‘कामदा एकादशी’ व्रत करने का आदेश दिया। उनका आशीर्वाद लेकर गंधर्व पत्नी अपने स्थान पर लौट आई और उसने श्रद्धापूर्वक ‘कामदा एकादशी’ का व्रत किया। एकादशी व्रत के प्रभाव से इनका श्राप मिट गया और दोनों अपने गन्धर्व स्वरूप को प्राप्त हो गए।
व्रत विधि: एकादशी के दिन स्नानादि से पवित्र होने के पश्चात संकल्प करके श्री विष्णु के विग्रह की पूजन करें। विष्णु को फूल, फल, तिल, दूध, पंचामृत आदि नाना पदार्थ निवेदित करें। आठों प्रहर निर्जल रहकर विष्णु जी के नाम का स्मरण एवं कीर्तन करें। एकादशी व्रत में ब्राह्मण भोजन एवं दक्षिणा का बड़ा ही महत्व है अत: ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा सहित विदा करने के पश्चात ही भोजना ग्रहण करें। इस प्रकार जो चैत्र शुक्ल पक्ष में एकादशी का व्रत रखता है उसकी कामना पूर्ण होती है।
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