ज्योतिष

ज्योतिष अनुसार किसी की देखा देखी न करें उपाय

Written by Bhakti Pravah

हमारे ज्यादातर लेख ग्रहों व उनके शुभ अशुभ योगों से मिलने वाले फल को दर्शाते हैं। लेकिन ज्यादातर भाई बहनों को यही शिकायत रहती है कि आप लेख तो अच्छा लिखते हो किंतु साथ में उपाय नहीं लिखते। आज ये लेख उन्ही के लिए लिखा जा रहा है।

जिस तरह मेरे द्वारा किए गए कर्मों का फल आप को नहीं मिल सकता ठीक उसी तरह मेरी कुंडली के अनुसार स्थित ग्रहों के उपायों का फल भी आपको नहीं मिल सकता।
अधिकतर देखने में आता है कि कुछ ज्योतिषी साधारणतया शनि शुक्र आदि ग्रहों के विभिन्न प्रकार के उपाय लिखते हैं कि यदि कुंडली में शनि खराब हो तो ये उपाय करें शुक्र खराब हो तो ये उपाय करें। अब लोग “खराब” शब्द तो निकाल देते हैं बस उनका ध्यान रहता है कि ये शनि के उपाय हैं व ये बुध के। इन्हें करेंगे तो हमें फायदा होगा। बल्कि नुक्सान हो जाता है।

उदाहरण के तौर पर जरूरी नहीं कि यदि एक जातक 50 किग्रा का भार उठा सकता है तो दूसरा भी उठा ही लेगा। ये सबके शरीर की कपैसिटि पर निर्भर करता है। ठीक उसी तरह जो उपाय आमतौर पर बताए जाते हैं जरूरी नहीं वे सबको शुभ प्रभाव ही देंगे। उनका नुक्सान भी हो सकता है। इसपर और गहराई से बात करते हैं।

ज्योतिष में यदि केवल फलादेश किया जाए और उपाय न किया जाए, तो यह उसी प्रकार होगा, जैसे कि कोई चिकित्सक रोग के लिए जांच तो सभी प्रकार की करे और रोग की पहचान होने पर उसका निदान न करे। प्रस्तुत है उपायों की विस्तृत जानकारी देता यह आलेख।

सर्वप्रथम कुंडली को ध्यान से देखकर यह विश्लेषण करना अत्यंत आवश्यक है कि जातक को समस्या किस ग्रह के कारण है। कई बार ऐसा होता है कि समस्या कुछ और होती है और उसका वास्तविक कारण कुछ और होता है। उदाहरण के लिए यदि किसी जातक को मानसिक स्थिति के ठीक न रहने के कारण वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, तो पहले हमें उपचार मानसिक स्थिति को सृदृढ़ करने के लिए करना होगा न कि वैवाहिक जीवन में सुधार का। यदि हम सीधे वैवाहिक जीवन के लिए कारक ग्रह और भाव का उपचार करने का प्रयास करेंगे, तो संभव है कि वैवाहिक जीवन कुछ समय के लिए सुधर जाए, लेकिन यह सुधार तात्कालिक व क्षणिक होगा, क्योंकि उसकी मानसिक स्थिति का तो उपचार किया ही नहीं गया। ऐसे में कुछ समय पश्चात खराब मानसिक स्थिति पुनः उसके वैवाहिक जीवन में समस्या का कारण बन सकती है। अतः ऐसे में यदि पहले मानसिक स्थिति का उपचार किया जाए और बाद में वैवाहिक जीवन में सुधार का तो वैवाहिक जीवन सुदृढ़ होगा, उसमें स्थायित्व आएगा।

ज्योतिष में दो प्रकार की विचारधाराएं हैं। पहली यह कि जो ग्रह आपके अनुकूल, भाग्येश, योगकारक और मित्र हंै, वे तो आपके अनुकूल हैं ही, अतः उपचार उन ग्रहों का करना चाहिए जो आपके प्रतिकूल हैं, अर्थात मारक, बाधक, नीच के, शत्रु या अकारक हैं। दूसरी विचारधारा के अनुसार, जो ग्रह हमारे अनुकूल हैं, हमारे मित्र हैं, योगकारक हैं, केंद्र त्रिकोण के स्वामी हैं, लग्नेश हंै, उनका उपचार करना चाहिए क्योंकि शत्रु ग्रह कभी भी हमारे हित की बात नहीं सोच सकते। यहां हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि हमारे हित की बात कौन सा ग्रह करेगा- जो हमारे शत्रु हैं वे या वे जो हमारे मित्र हैं और हमारे अनुकूल हैं। हम पाएंगे कि हमारे हित और लाभ की बात निश्चित रूप से वही ग्रह सोच सकते हैं, जो हमारे मित्र हैं और अनुकूल हैं, न कि वे जो हमारे शत्रु हैं या हमारे प्रतिकूल, अकारक, मारक या बाधक। हां, यह बात निश्चित है कि हमें उपचार दोनों ग्रहों का करना होगा, चाहे वे हमारे अनुकूल हों या प्रतिकूल ।

प्रश्न उठता है कि कैसे करें अनुकूल ग्रहों को अपने पास और कैसे करें प्रतिकूल और अकारक ग्रहों को अपने से दूर? यदि अनुकूल ग्रह का रत्न धारण किया जाए तो निश्चित रूप से हम उस ग्रह को अपने साथ जोड़ रहे हैं, अपने नजदीक ला रहे हैं। अर्थात हम अपने मित्र ग्रह को अपनी सहायता के लिए अपने घर में आमंत्रित कर रहे हैं। यहां हमें यह बात अवश्य ध्यान रखनी चाहिए कि हमारी सहायता सिर्फ हमारे मित्र ग्रह ही कर सकते हैं न कि शत्रु, क्योंकि शत्रु तो हमेशा इस ताक में रहता है कि कब मौका मिले और कब वार किया जाए। अतः ऐसे ग्रहों को अपने से दूर करना होगा। अपने से दूर करने के लिए ऐसे ग्रहों की वस्तुओं का दान करना चाहिए एवं जल प्रवाह करना चाहिए। कभी भी शत्रु ग्रह से संबंधित ग्रह का रंग अपने उपयोग में नहीं लाना चाहिए, कभी ऐसे रंगों के वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए जो रंग हमारे शत्रु ग्रहों के रंगों को दर्शाते हों।

इसलिए कभी भी किसी की देखादेखी उपाय कभी न करें। एक उपाय उस ग्रह को पास रखने के लिए होता है व दूसरा उपाय उसे दूर करने के लिए।
जबतक ये ज्ञात न हो कि आपकी कुंडली में उक्त ग्रह की क्या स्थिति है तबतक भेड़चाल में आकर उनका उपाय हरगिज न करें।

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