उत्तर व दक्षिणी ब्राम्हणो के भेद इस प्रकार है-
81 ब्राम्हाणो की 31 शाखा कुल 115 ब्राम्हण संख्या (1) गौड़ ब्राम्हण (2)मालवी गौड़ ब्राम्हण (3) श्री गौड़ ब्राम्हण (4) गंगापुत्र गौडत्र ब्राम्हण (5) हरियाणा गौड़ ब्राम्हण (6) वशिष्ठ गौड़ ब्राम्हण (7) शोरथ गौड ब्राम्हण (8) दालभ्य गौड़ ब्राम्हण (9) सुखसेन गौड़ ब्राम्हण (10) भटनागर गौड़ ब्राम्हण (11) सूरजध्वज गौड ब्राम्हण (षोभर) (12) मथुरा के चौबे ब्राम्हण (13) वाल्मीकि ब्राम्हण (14) रायकवाल ब्राम्हण (15) गोमित्र ब्राम्हण (16) दायमा ब्राम्हण (17) सारस्वत ब्राम्हण (18) मैथल ब्राम्हण (19) कान्यकुब्ज ब्राम्हण (20) उत्कल ब्राम्हण (21) सरवरिया ब्राम्हण (22) पराशर ब्राम्हण (23) सनोडिया या सनाड्य (24)मित्र गौड़ ब्राम्हण (25) कपिल ब्राम्हण (26) तलाजिये ब्राम्हण (27) खेटुुवे ब्राम्हण (28) नारदी ब्राम्हण (29) चन्द्रसर ब्राम्हण (30)वलादरे ब्राम्हण (31) गयावाल ब्राम्हण (32) ओडये ब्राम्हण (33) आभीर ब्राम्हण (34) पल्लीवास ब्राम्हण (35) लेटवास ब्राम्हण (36) सोमपुरा ब्राम्हण (37) काबोद सिद्धि ब्राम्हण (38) नदोर्या ब्राम्हण (39) भारती ब्राम्हण (40) पुश्करर्णी ब्राम्हण (41) गरुड़ गलिया ब्राम्हण (42) भार्गव ब्राम्हण (43) नार्मदीय ब्राम्हण (44) नन्दवाण ब्राम्हण (45) मैत्रयणी ब्राम्हण (46) अभिल्ल ब्राम्हण (47) मध्यान्दिनीय ब्राम्हण (48) टोलक ब्राम्हण (49) श्रीमाली ब्राम्हण (50) पोरवाल बनिये ब्राम्हण (51) श्रीमाली वैष्य ब्राम्हण (52) तांगड़ ब्राम्हण (53) सिंध ब्राम्हण (54) त्रिवेदी म्होड ब्राम्हण (55) इग्यर्शण ब्राम्हण (56) धनोजा म्होड ब्राम्हण (57) गौभुज ब्राम्हण (58) अट्टालजर ब्राम्हण (59) मधुकर ब्राम्हण (60) मंडलपुरवासी ब्राम्हण (61) खड़ायते ब्राम्हण (62) बाजरखेड़ा वाल ब्राम्हण (63) भीतरखेड़ा वाल ब्राम्हण (64) लाढवनिये ब्राम्हण (65) झारोला ब्राम्हण (66) अंतरदेवी ब्राम्हण (67) गालव ब्राम्हण (68) गिरनारे ब्राम्हण (69) गुग्गुले ब्राम्हण (70) मेरठवाल ब्राम्हण (71) जाम्बु ब्राम्हण (72) वाइड़ा ब्राम्हण (73) कड़ोल ब्राम्हण (74) ओदुवे या दुवे (75) वटमूल ब्राम्हण (76) श्रृंगालभाट ब्राम्हण (77) गौतम ब्राम्हण (78) पाल ब्राम्हण (79) सोताले ब्राम्हण (80) सिरापतन मोताल ब्राम्हण (81) महाराणा ब्राम्हण (82) चितपाक ब्राम्हण (83) कराश्ट ब्राम्हण (84) त्रिहोत्री या अग्निहोत्री ब्राम्हण (85) दशगोत्री ब्राम्हण (86) द्वात्रिदश ब्राम्हण (87) पन्तिय ग्राम ब्राम्हण (88) मिथिनहार ब्राम्हण (89) सौराष्ट्र।
ऐसे ब्राह्मण के अनेको प्रकार बताये गए है लेकिन मुख्य ब्राह्मण कुल इन्ही सप्तऋषिओ से ही बना है।
विष्णु पुराण के अनुसार ब्राह्मण की उत्पत्ति इस श्लोक से होती है।
श्लोक- वशिष्ठकाश्यपो यात्रिर्जमदग्निस्सगौत। विश्वामित्रभारद्वजौ सप्त सप्तर्षयोभवन्।।
अर्थात् सातवें मन्वन्तर में सप्तऋषि इस प्रकार हैं:- वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र और भारद्वाज।
इस तरह से ब्राह्मणों के वंस का वर्णन मिलता है।
ये जानकारी अपने अपने बच्चों को जरूर बताये।आज की भावी पीढ़ी को सच्चे ब्राह्मण का अर्थ पता नहीं है इसलिए वो अपने धर्म मार्ग से भटक गया है।
“”जय भू देव जय परशुराम “”
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