मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के मध्य मांधाता द्वीप पर स्थित है ओम्कारेश्वर महादेव का मंदिर। इस द्वीप का आकार ओम के रूप में है आइए जानते हैं इस ज्योतिर्लिंग से जुड़े कुछ रोचक तथ्य –
इतिहास – पौराणिक मान्यताओं के अनुसार विंध्य देव द्वारा अपने पापों के प्रायश्चित के लिए कई वर्षों तक भगवान शिव की आराधना किए जाने पर भगवान शिव ने प्रसन्न होकर दो रूपों में अवतरित हुए जिन्हें ओम्कारेश्वर तथा अमरेश्वर नामों से जाना जाता है। ओमकारेश्वर का इतिहास लगभग 5500 वर्षों पुराना है। जिसका अनुमोदन पुराना द्वारा होता है। मंदिर के निर्माण की तारीख कोई उपयुक्त प्रमाण उपलब्ध नहीं होता किंतु शिलालेखों से मंदिर की आयु हजार वर्ष से अधिक पुरानी सिद्ध होती है।
1 – ओमकारेश्वर मंदिर परिसर मांधाता द्वीप पर स्थित है जिसका कुल क्षेत्रफल 2.6 वर्ग किलोमीटर है, इस द्वीप पर पहुंचने के लिए आपको नाव का सहारा लेना पड़ता है क्योंकि यह चारों ओर से नर्मदा के जल से घिरा है।
2 – संपूर्ण द्वीप विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिरों से आच्छादित है तथा यह साक्षात देव लोक का आभास कराता है।
3 – ज्योतिर्लिंग का मुख्य मंदिर 60 स्तंभों द्वारा खड़ा है जिन्हें यक्षी स्तंभ कहा जाता है दीवारों तथा खंभों पर देवी देवताओं के आकर्षक चित्र उत्कीर्णित हैं।
4 – मंदिर 5 मंजिला इमारत के रूप में है जिसमे पांचो तल भिन्न-भिन्न देवताओं को समर्पित हैं, प्रथम तल पर महाकालेश्वर, द्वितीय तल पर ओमकारेश्वर, तीसरे व चौथे तल पर गुप्तेश्वर तथा धवजेश्वर मंदिर हैं।
5 – ओमकारेश्वर का दर्शन बिना ममलेश्वर के पूर्ण नहीं माना जाता ममलेश्वर मंदिर दीप के बाहर दूसरी ओर है जहां नाव से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
6 – मुख्य मंदिरों के अतिरिक्त अन्य अनेक देवी देवताओं के मंदिर, परिक्रमा स्थल पर बने मंदिर तथा विभिन्न राजाओं द्वारा बनाए गए महल दर्शनीय है।
7 – ओमकारेश्वर वास्तव में एक संपूर्ण तीर्थ स्थल है जिसकी यात्रा आपके मन को असीमित ऊर्जा से भर देती है।
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