आज-कल बच्चों और युवाओं में होने वाली बीमारियां, जो पहले कभी बुढ़ापे में होती थीं, वो सभी लोगों और चिकित्सकों के लिए एक चिंता का विषय बन गया है। इसका कारण हमारी और आपकी बदली हुई, निष्क्रिय और हानिकारक तत्वों युक्त जीवनशैली है। हानिकारक तत्वों की भोजन में उपस्थिति, विटामिन-डी की कमी और उससे जुड़ी अन्य समस्याएं भी आपके बच्चों और आपकी आरामदायक जीवन पर बुरा प्रभाव डालते है।
अधिकतर भारतीय लोगों में विटामिन-डी की कमी पाई गई हैं, क्योंकि पहले की तुलना में आजकल लोग सुबह की धुप, सूरज की रौशनी, सनस्क्रीन क्रीम का अत्यधिक उपयोग और ताजा हवा में कम बाहर निकलते है, जिससे उनके शरीर में सूर्यकिरणों की कमी के कारण विटामिन-डी का निर्माण नहीं हो पाता हैं। इसलिए डॉक्टर सभी को विटामिन-डी की गोलिया आदि खाने की सलाह देते हैं। आज हम आपको विटामिन डी की कमी के साइड इफेक्ट के बारे में बताएंगे।
अक्सर बीमार या संक्रमित रहना
बार-बार इन्फेक्शन होना या बीमार होना भी विटामिन-डी की कमी को दर्शाता है, और इसकी कमी व्यक्ति को अत्यधिक बीमार करती है। आपके इम्यून सिस्टम यानि प्रतिरोधक क्षमता का महत्त्वपूर्ण हिस्सा टी- उत्तक विटामिन-डी द्वारा ही ठीक से काम कर पाते हैं।
विटामिन-डी की कमी से हड्डी और पीठ दर्द
विटामिन-डी हड्डियों की मजबूती के लिए ज़रूरी है, क्योंकि यह खाने में मौजूद कैल्शियम को प्रयोग करने में शरीर की मदद करता है। विटामिन-डी की कमी से रिकेट्स की बीमारी होती है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसमे हड्डियों के उत्तक ठीक से अपने में पोषक तत्व सोख नहीं पाते हैं, जिसकी वजह से हड्डियां नर्म हो जाती हैं और आपके शरीर का आकर भी बिगड़ जाता है। लेकिन ताजा अध्ययन के मुताबिक विटामिन-डी और भी बहुत सी बीमारियों से बचने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
थकान और सुस्ती
आपके शरीर को उर्जा के लिए विटामिन डी की जरूरत होती है। विटामिन-डी की कमी से आप नियमित रूप से थकान महसूस करते हैं। ऐसे किसी भी लक्षण को आप कभी भी अनदेखा ना करें।
अवसाद
वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में पाया कि जिन लोगों में विटामिन-डी की कमी होती है, उनमे स्वस्थ लोगों की तुलना डिप्रेशन होने की संभावना 11 गुना तक अधिक होती है। इसलिए अगर आप अवसाद से ग्रस्त हैं, तो इसका कारण आपके शरीर में विटामिन-डी की कमी हो सकती है।
हड्डियों का नुकसान
हड्डिययों की मजबूती बनाये रखने के लिए शरीर में पर्याप्त मात्रा में विटामिन-डी और कैल्िरकययम होना चाहिये। विटामिन-डी के बिना हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और फ्रेक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है। जिन लोगों में पहले से रहूमटॉइड अर्थराइटिस की बीमारी है, उनमें विटामिन-डी की कमी, बीमारी के लक्षण अधिक परेशान करते हैं।
बाल झड़ना
विटामिन-डी भी बालों की जड़ों को पोषण देता है और बालों को बढ़ने में मदद करता है। सर्दी में अगर आप धूप सेंके तो आपके शरीर को अच्छी मात्रा में विटामिन-डी मिलता है।
मांसपेशियों में दर्द
शोध से पता चलता है, कि शरीर में विटामिन-डी की कमी से मांसपेशियों में और जोड़ों का दर्द होता है। ऐसा सूरज की रोशनी के अभाव में होता है। विटामिन-डी की अपर्याप्त मात्रा के कारण कैल्शियम हड्डियों तक नहीं पहुंचता, जिससे हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द रहता है।
विटामिन-डी की कमी से घाव भरने में देरी
एक अध्ययन के मुताबिक, विटामिन डी-3 भी हानिकारक प्रोटीन को नियमित करने में मदद करता है, त्वचा की प्राकृतिक इम्यून सिस्टम का समर्थन करता है, और क्षतिग्रस्त उत्तकों की सामान्य मरम्मत में भी मदद करता है। आपके शरीर में विटामिन डी-3 की मौजूदगी घावों के उपचार करने के लिए उपयोगी जानी जाती है।
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