सोमवती अमावस्या – सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। यह अमावस्या हिंदू धर्म के अनुसार बहुत ही विशेष धार्मिक महत्व रखती है। इस दिन सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु कामना के लिए व्रत रखने का विधान है। इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल प्राप्त होता है, ऐसा पुराणों में वर्णित है।
विशेष कर सोमवार को भगवान शिवजी का दिन माना जाता है। इसलिए सोमवती अमावस्या पर शिवजी की आराधना, पूजन-अर्चना उन्हीं को समर्पित होती है। इसीलिए सुहागन महिलाएं पति की दीर्घायु की कामना करते हुए पीपल के वृक्ष में शिवजी का वास मानकर उसकी पूजा और परिक्रमा करती हैं।
क्या करें इस दिन
ऐसा माना गया है कि पीपल के मूल में भगवान विष्णु, तने में शिवजी तथा अग्रभाग में ब्रह्माजी का निवास होता है। अत: इस दिन पीपल के पूजन व परिक्रमा करने से सौभाग्य की वृद्धि होती है।
सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी परिक्रमा करें।
सोमवती अमावस्या के दिन सूर्य नारायण को जल देने से दरिद्रता दूर होती है।
जिन लोगों की पत्रिका में चंद्रमा कमजोर है, वह जातक गाय को दही और चावल खिलाएं तो उन्हें मानसिक शांति प्राप्त होगी।
इसके अलावा सोमवती अमावस्या को मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति होती है।
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