गोत्रों का महत्व :- जिस तरह से समाज का एक विशेष मतलब होता है ठीक उसी प्रकार से हमारे गोत्रों का भी अपना महत्व है ।
1. गोत्रों से व्यक्ति और वंश की पहचान होती है ।
2. गोत्रों से व्यक्ति के रिश्तों की पहचान होती है ।
3. रिश्ता तय करते समय गोत्रों को टालने में सुविधा रहती है ।
4. गोत्रों से निकटता स्थापित होती है और भाईचारा बढ़ता है ।
5. गोत्रों के इतिहास से व्यक्ति गौरवान्वित महसूस करता है और प्रेरणा लेता है ।
भविष्य पुराण में ब्राम्हण के गोत्रों का उल्लेख मिलता है जो कि निम्नलिखित हैं।प्राचीन काल में महर्षि कश्यप के पुत्र कण्वकी आर्यावनी नाम की देवकन्या पत्नी हुई। इन्द्रकी आज्ञासे दोनों कुरुक्षेत्रवासिनी सरस्वती नदी के तट पर गये और कण्व चतुर्वेदमय सूक्तों में सरस्वती देवी की स्तुति करने लगे। एक वर्ष बीत जाने पर वह देवी प्रसन्न हो वहां आयीं और आर्यों की समृद्धि के लिये उन्हे वरदान दिया। वर के प्रभाव से कण्व के आर्य बुद्धिवाले दस पुत्र हुए -जिनके नाम उपाध्याय, दीक्षित, पाठक, शुक्ला, मिश्रा, अग्निहोत्री, द्विवेदी, त्रिवेदी, पाण्डेय और चतुर्वेदी है। इन लोगो का जैसा नाम था वैसा ही गुण भी था। इन लोगो ने नतमस्तक हो सरस्वती देवी को प्रसन्न किया। बारह वर्ष की अवस्था वाले उन लोगो को भक्तवत्सला शारदादेवी ने अपनी कन्याए प्रदान की। वे क्रमशः उपाध्यायी, दीक्षिता, पाठकी, शुक्लिका, मिश्राणी, अग्निहोत्रिधी, द्विवेदिनी, त्रिवेदिनी पाण्ड्यायनी और चतुर्वेदिनी कहलायीं। फिर उन कन्याओ के भी अपने-अपने पति से सोलह-सोलह पुत्र हुए हैं वे सब गोत्रकार हुए जिनका नाम है- कष्यप, भरद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्रि वसिष्ठ, वत्स, गौतम, पराशर, गर्ग, अत्रि, भृगडत्र अंगिरा, श्रृंगी, कात्यायन और याज्ञवल्क्य। इन नामो से सोलह-सोलह पुत्र जाने जाते हैं। मुख्य 10 प्रकार ब्राम्हणों के ये भी हैं-
(1) तैलंगा (2) महार्राष्ट्रा (3) गुर्जर, (4) द्रविड (5) कर्णटिका यह पांच द्रविण कहे जाते हैं।ये विन्ध्यांचल के दक्षिण में पाये जाते हैं तथा विंध्यांचल के उत्तर में पाये जाने वाले या वास करने वाले ब्राम्हण
(1) सारस्वत (2) कान्यकुब्ज (3) गौड़ (4) मैथिल (5) उत्कलये उत्तर के पंच गौड़ कहे जाते हैं।
वैसे ब्राम्हण अनेक हैं।जिनका वर्णन आगे लिखा है। ऐसी संख्या मुख्य 115 की है। शाखा भेद अनेक हैं । इनके अलावा संकर जाति ब्राम्हण अनेक है । यहां मिली जुली उत्तर व दक्षिण के ब्राम्हणों की नामावली 115 की दे रहा हूं। जो एक से दो और 2 से 5 और 5 से 10 और 10 से 84 भेद हुए हैं, फिर उत्तर व दक्षिण के ब्राम्हण की संख्या शाखा भेद से 230 के लगभग हैं तथा और भी शाखा भेद हुए हैं, जो लगभग 300 के करीब ब्राम्हण भेदों की संख्या का लेखा पाया गया है।
[button color=”orange” size=”medium” link=”http://www.bhaktipravah.com/?p=5656&preview=true” icon=”” target=”false”]उत्तर व दक्षिणी ब्राम्हणो के भेद[/button]
Plz ye bataiye ki
Gotr neewa bati sobhi raam or
Gotr neewa bati devike
Ak hi gotr he kya
Or sadi ho jayegi ya nahi