यह बहुत ही पौराणिक और सत्य घटना है जैसा की हम जानते है की संत अपनी किसी भी प्रकार की योग विभूतियों को जग के सामने जाहिर नहीं करते, लेकिन आवश्याकता पड़ने पर अपनी कृपा करने से पीछे भी नहीं हटते। तो आज हम जानेंगे श्री कारी खान जी बारे में
Image Source: Google
मिथिला के बनगाँव के श्री कारी खाँ ने स्वामी जी को दूध पीने के लिए एक गाय दी थी। नित्य प्रति इस गाय का दूध बाबा जी (परमहंस लक्ष्मीनाथ गोस्वामी जी) को भेज दिया करते थे। एक दिन दूध नहीं पहुँचा। बाबा जी ने निशिचत समय का अतिक्रमण देख प्राप्त वस्तुओं से अपनी क्षुधा मिटा ली। गौ को सर्प ने काट लिया था। उपचार किया गया किन्तु विफल रहा। अन्ततोगत्वा गाय मर गर्इ। श्री कारी खाँ ने आकर बाबाजी से सारा वृतान्त कह सुनाया।
बाबाजी ने चौंक कर कहा- ”क्या गाय, सर्प के काटने से मर गर्इ ?
श्री कारी खाँ ने कहा – जी हाँ ।
बाबा जी ने उदास होकर पूछा- ”क्या कसाई उठा कर ले गया।
श्री कारी खाँ ने कहा ”निशिचत कहा नहीं जा सकता बाबा जी ।
बाबा जी ने कहा- ”शीघ्रता से जाओ और गाय को ले जाने से रोको। मैं अतिशीघ्र आता हूँ।
बाबा जी पाँव में खड़ाँऊ और हाथ में लाठी लेकर पहुँच गये। कुछ काल खड़े देखते रहे और बाद में अपनी छड़ी से उठाने का उपक्रम किये। छड़ी के स्पर्श ही से गौ उठ गर्इ।
उपस्थित लोग बाबा जी की अदभुत शक्ति देखकर चकित रह गये। बाबा जी ने कारी खाँ से कहा- ”कुछ देर तक खाने नहीं देना। पहले दूध को थन से निचोड़ कर फेंक देना, कोई भी व्यक्ति इस दूध को पिए नहीं सब ठीक हो जायेगा। यह कह कर बाबा जी कुटी पर चले गये।
Leave a Comment