अबकी बार चैत्र नवरात्र में विशेष यह है कि लगातार चौथे वर्ष चैत्र नवरात्र 8 दिन की होगी, क्योंकि अष्टमी-नवमी तिथि एक साथ है। नवरात्रि की शुरुआत प्रतिपदा को सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी। इस बार माता रानी हाथी पर सवार होकर आ रही है जो कि बहुत ही शुभ है। साथ ही इस बार माता रानी हाथी पर प्रस्थान भी कर रही है जो कि बहुत ही शुभ है।
कलश स्थापना मुहूर्त
18 मार्च 2018 दिन रविवार
समय प्रात: 06:23 से 07:45 तक
अवधि : 1 घण्टे 22 मिनट
कलश स्थापना विधि
नवरात्रि में कलश स्थापना देव-देवताओं के आह्वान से पूर्व की जाती है। कलश स्थापना करने से पूर्व आपको कलश को तैयार करना होगा। सबसे पहले मिट्टी के बड़े पात्र में थोड़ी सी मिट्टी डालें। और उसमे जवारे के बीज डाल दें। अब इस पात्र में दोबारा थोड़ी मिटटी और डालें। और फिर बीज डालें। उसके बाद सारी मिट्टी पात्र में दाल दें और फिर बीज डालकर थोडा सा जल डालें। ध्यान रहे इन बीजों को पात्र में इस तरह से लगाएं की उगने पर यह ऊपर की तरफ उगें। यानी बीजों को खड़ी अवस्था में लगायें। और ऊपर वाली लेयर में बीज अवश्य डालें। अब कलश और उस पात्र की गर्दन पर मोली बांध दें। साथ ही तिलक भी लगाएं। इसके बाद कलश में गंगा जल भर दें। इस जल में सुपारी, इत्र, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्का भी दाल दें। अब इस कलश के किनारों पर 5 अशोक या आम के पत्ते रखें। और कलश को ढक्कन से ढक दें। अब एक नारियल लें और उसे लाल कपडे या कल चुन्नी में लपेट लें। चुन्नी के साथ इसमें कुछ पैसे भी रखें। इसके बाद इस नारियल और चुन्नी को रक्षा सूत्र से बांध दें। तीनों चीजों को तैयार करने के बाद सबसे पहले जमीन को अच्छे से साफ़ करके उसपर मिट्टी का जौ वाला पात्र रखें। उसके ऊपर मिटटी का कलश रखें और फिर कलश के ढक्कन पर नारियल रख दें। अब आपकी कलश स्थापना पूर्ण हो चुकी है।
इसके बाद सभी देवी देवताओं का आह्वान करके विधिवत नवरात्रि पूजन करें। इस कलश को आपको नौ दिनों तक मंदिर में ही रखे देने होगा। बस ध्यान रखें की मिट्टी में सुबह शाम आवश्यकतानुसार पानी डालते रहें।
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