अध्यात्म

जानिये कैसे करें हनुमानजी की पूजा और क्या स्त्रियां भी कर सकती हैं पूजा

Written by Bhakti Pravah

हनुमानजी की पूजा, आराधना से जुड़ा एक प्रश्न अक्सर खड़ा होता है. क्या स्त्रियों को हनुमद् आराधना, हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए? सबसे पहले तो यह समझना जरूरी है कि हनुमानजी की पूजा का अर्थ क्या है. हनुमान का एक अर्थ है अहंकार रहित. हनुमानजी की कृपा सिर्फ आसुरी प्रवृति के इंसानों, भूत-प्रेतों, दूसरों का अनिष्ट चाहने वालों को नहीं मिलती. शेष सभीजन हनुमानजी की पूजा से उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं. फिर स्त्रियों को हनुमानजी की पूजा पर प्रतिबंध का प्रश्न कहां से उठता है? यह एक भ्रम है जो फैलते-फैलते लोगों के मन में बस गया है.

इस पोस्ट में हनुमानजी की पूजा से जुड़ी बहुत सी भ्रांतियों की बात करेंगे. हनुमानजी यदि आपके आराध्य हैं तो उनकी दैनिक पूजा कैसे करें. विभिन्न बाधाओं के निवारण के लिए हनुमानजी के कौन से विशेष मंत्र हैं, उनको कैसे जपना चाहिए? भूत-प्रेत, रोग-व्याधि, कारागार दोष आदि से रक्षा के लिए हनुमानजी की पूजा की क्या विधि है. हनुमानजी के बारह नामों के जपफल का महत्व- ये सभी उत्तम जानकारियां आपको इस पोस्ट में मिलेंगी. कुल मिलाकर यह पोस्ट आपके लिए संग्रहणीय होगा

सबसे पहले शुरुआत करते हैं क्या स्त्रियों द्वारा हनुमानजी की पूजा आराधना के विषय से.स्त्रियां कर सकती हैं हनुमानजी की पूजा-आराधना:-हनुमानजी की उपासना के संदर्भ में एक आम भ्रम है महिलाएं उनकी पूजा नहीं कर सकतीं. यह सत्य नहीं है. महिलाओं के लिए हनुमानजी की साधारण पूजा वर्जित नहीं है. बस रजस्वला स्थिति में पूजा करनामना है. रजस्वला अवस्था में तो किसी भी तरह की पूजा वर्जित है.हनुमानजी की साधना और विशेष पूजा की प्रक्रिया लंबे अवधि की होती है. कई साधनाएं 40 से ऊपर दिनों की हैं जिसे महिलाएं नहीं कर सकतीं हैं क्योंकि बीच में व्यवधान उत्पन्न हो जाते हैं. इसलिए हनुमानजी की विशेष साधना केवल पुरुष ही कर पाते हैं. इसी बात को आधार बनाकर भ्रम फैलाया गया है. हनुमानजी को पिता सदृश विचारकर सामान्य पूजा स्त्रियों को जरूर करनी चाहिए. हनुमानजी भय और ऊपरी बाधाओं से मुक्ति दिलाते हैं.स्त्रियों के लिए हनुमानजी को उपवस्त्र यानी लंगोट समर्पित करने की मनाही है. वे केवल जनेऊ चढ़ा सकती हैं.क्या स्त्रियां हनुमानजी को सिंदूर चढ़ा सकती हैं?

हनुमानजी को स्त्रियों द्वारा सिंदूर चढ़ाने से पूर्णरूप से मनाही की बात भी कहीं स्पष्ट रूप से नहीं मिलती. इस विषय पर अलग-अलग विद्वानों के मिले-जुले विचार हैं. हनुमानजी ने स्वयं माता सीता के हाथों से सिंदूर लेकर अपने शरीर पर लेप लिया था. शायद इस कारण अधिकांश मंदिरों में स्त्रियों को सिंदूर चढ़ाने से रोका जाता है. परंतु स्पष्ट रूप से कोई संतोषजनक कारण नहीं मिलता जिससे पता चले कि रोक है या नहीं.ऐसी स्थिति में शास्त्र लोकाचार यानी उस क्षेत्रमें प्रचलित परंपराओं के पालन का सुझाव देते हैं.यदि लोकाचार सिंदूर चढ़ाने से मना करता है तो आप इसे मान लें.हनुमानजी की पूजा कैसे करें?हनुमानजी संकटमोचक हैं. सभी संकटों का निवारण करने वाले कलियुग के सबसे शक्तिशाली देव. हनुमानजी शिव के अंशावतार हैं. श्रीराम के प्रिय दूत हैं. समस्त ग्रहों को आपदा से मुक्त कराने वाले हैं. सूर्य के शिष्य हैं. पवन के पुत्र हैं. इस कारण उनके साथ महादेव, नारायण, भगवान सूर्य एवं समस्त ग्रहों की संयुक्तकृपा है. इसलिए हनुमानजी को कलियुग का सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली देवता माना जाता है.

ज्योतिषशास्त्र के हिसाब से जिन राशियों के स्वामी मंगल और शनि हैं उन्हें हनुमानजी की पूजा विशेष रूप से करनी चाहिए. जो हनुमानजी को अपना इष्ट मानते हैं उन्हें रोजाना हनुमद् आराधना और पाठ करना चाहिए.हनुमानजी की पूजा-आराधना के साथ सुंदर बात यह है कि इसके लिए कोई विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं होती. विभिन्न मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए हनुमानजी के विशिष्ट मंत्र और पाठ हैं. इनके जपमात्र से सारी अभिलाषाएं पूर्ण होती हैं.यदि हनुमान साधक किसी कारणवश किसी दिन हनुमानजी की पूजा विधिवत नहीं कर पाते तो भी इसका एक उपाय है. भगवान श्रीराम की स्तुति ध्यान के बाद“ऊं हं हनुमते नम:” मंत्र की एक माला के जप से भी हनुमानजी की पूजा पूर्ण हो जाती है.किन मंत्रों या स्तुतियों से करें हनुमानजी की पूजाःश्रीरामरक्षा स्तोत्र या श्रीरामस्तुति पाठ कर लें अथवा निम्न मंत्र पढ़ें-यत्र यत्र रघुनाथ कीर्तनंतत्र तत्र कृतमस्तकाञ्जलिम् |भाष्पवारि परिपूर्ण लोचनंमारुतिं नमत राक्षसान्तकम् ||मंत्र का अर्थ: जहां-जहां भगवान श्रीरघुनाथजी कीसंकीर्तन होता है, वहां शरणागतभाव में, नतमस्तक, कमलरूपी दोनों हाथ जोड़े हुए और नेत्रों में भावपूर्ण आनंद के अश्रु के साथ हनुमानजी उपस्थितहोते हैं. राक्षसों के समूहों का संहार करनेवाले,ऐसे श्रीहनुमानजी को कोटिश: प्रणाम करते हैं.यदि यह स्तुति भी स्मरण न हों तो “ऊं राम रामाय नमः” का ही जप कर लें.हनुमानजी का कोई विशेष अनुष्ठान मंगलवार और शनिवार को आरंभ करें तो सबसे उत्तम फलदायी होगा.यदि यात्रा में होने, पूजास्थल पास में न होने या किसी अन्य कारण से पूजा नहीं कर पा रहे तो पावित्रीकरण मंत्र पढ़ते हुए अपने ऊपर तीन बार जल का छींटा मारें. इस तरह पवित्र होने के उपरांत हनुमान चालीसा का ही पाठ कर लें तो भी हनुमानजी की कृपा प्राप्त होती हैं।

पवित्रीकरण मंत्रःऊँ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा |यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं सः बाह्याभ्यन्तरः शुचिः||इस मंत्र को पूजा स्थल तथा स्वयं पर तीन बार जल छिडकते हुए बोलना चाहिए. शुद्धि की कल्पना करें, आसन की शुद्धि करने के पश्चात पूर्व या उत्तर दिशा में मुखकर बैठना चाहिए.भूत-प्रेत बाधा से बचने के लिए करें हनुमानजी की पूजाः जिन्हें भूत-प्रेत से बहुत भय होता है यदि वे रात को सोने से पहले “ऊं हं हनुमते नमः” मंत्र की एक माला प्रतिदिन जपें तो कुछ ही दिनों में एक ऐसा कवच तैयार हो जाता है जो उन्हें भूत-प्रेत के भय से मुक्त रखता है.इसका जप करने से पहले पवित्र होकर स्वच्छ कपड़े पहन लेने चाहिए. लाल उनी आसन या कुशासन पर बैठकर ध्यान करना श्रेष्ठ होता है. यदि कुछ न हो तो लाल रंग की कोई साफ चादर ही बिछा लें.

हनुमद आराधना में शाबर मंत्रःयदि आप किसी पीड़ा से परेशान हैं तो ऐसे में हनुमानजी के साबर मंत्र शीघ्र समाधान या राहत देने वाले होते हैं. परंतु इसकी साधना बहुत सोच-विचारकर ही करनी चाहिए.शाबर मंत्र की साधना में कई सावधानियां जरूरी हैं. इस मंत्र का प्रयोग वही लोग करें जिनका खान-पान शुद्धता और वे अन्य बुराईयों से दूर हों अन्यथा लेने के देने पड़ जाते हैं. हर बाधा के लिएअलग साबर मंत्र बताए गए हैं जो किसी हनुमान साधक के परामर्श से ही करनी चाहिए. इधर-उधर से सुनकर किसी शाबर मंत्र की साधना कभी भी आरंभ न करें.

रोग-व्याधि, भय से पीड़ा में हनुमान उपासनाःएकाग्रचित होकर 21 दिन तक विधि-विधान से “बजरंग बाण” का पाठ करने से शत्रुओं के भय और रोग-व्याधि में बहुत आराम मिलता है. यदि आप निर्दोष और निरपराध हैं तो इस साधना से शत्रुओं को दंड मिलताहै किंतु यदि आपने बजरंग बाण की साधना किसी ऐसे अभीष्ट फल की प्राप्ति के लिए की हो जो अनुचित है,तो ध्यान रखें हनुमानजी दंडित कर सकते हैं. लाभ के स्थान पर हानि हो सकती है.हिंसक प्रवृति और बंधन दोष से राहत के लिएःयदि परिवार में किसी के हिंसक प्रवृति से आप परेशान हैं तो हनुमानजी से उसकी बुद्धि सुधारने की प्रार्थना करें. यदि किसी अपराध के कारण बंधन दोष यानी जेल जाना पड़ गया है तो दोषी व्यक्ति अगर 108 बार “हनुमान चालीसा” का पाठ करके यह संकल्प ले कि वह स्वयं को बुरे कार्यों से मुक्त रखकर हनुमानजी की शरण में रहेगा तो वह दोबारा बंधन दोष से मुक्त हो जाता है.ध्यान रहे हनुमानजी तभी तक रक्षा करते हैं जब तक आपकी भावना पवित्र है. यदि उस व्यक्ति ने दोबारा उन्हीं कार्यों में लिप्तता बढ़ाई तो बंधन दोष कई गुना बढ़ जाता है और उसे फिर उसकी मुक्ति आसानी से संभव नहीं होती.

रामबाण है द्वादश नाम जपःहनुमानजी ने अपने प्रभु श्रीराम के वे कार्य सिद्ध किए जो असंभव जैसे ही थे. प्रभु पर जब भी संकट आए चाहे माता सीता की खोज हो या संजीवनी बूटी का आवश्यकता, हनुमानजी ने ऐसे कठिन कार्य सिद्ध किए. श्रीराम ने उन्हें आशीर्वाद दिया है कि अगर हनुमानजी का स्मरण करके कठिन कार्य किया जाए तो वह सरल हो जाएगा.यदि आप लगातार किसी कार्य को करने में असमर्थ हो रहे हैं और वह कार्य ऐसा है जिसमें कोई बुरी भावना नहीं और जिससे दूसरों का कल्याण हो सकता हैतो आपको हनुमानजी के द्वादश(बारह) नाम जप करके उसे आरंभ करना चाहिए.

एक माला जप लें.मंगलवार को इसका जप अवश्य करना चाहिए.आप दिन में जब भी मौका लगे जितना संभव हो इन नामों का जप करें. हनुमानजी की भक्ति में एक खास बात यह भी है कि उनकी पूजा के लिए विशेष प्रयोजन की जरूरत नहींहोती. आप सफर में हो या विश्राम कर रहे हों-प्रभु के 12 नामों का पाठ मन में या उच्च स्वर में पाठ करें.
हनुमानजी की भक्ति निष्काम है इसलिए उन्हें प्रसन्न करने से सभी देवताओं की कृपा मिल जाती है. हनुमानजी प्रसन्न होते हैं

उनके 12 नामों के जप से क्योंकि उन नामों में हनुमानजी के आराध्यों के नाम हैं.

1. हनुमान 2. अंजनीसुत 3. वायुपुत्र 4. महाबल 5. रामेष्ट 6. फाल्गुण सखा 7. पिंगाक्ष 8. अमित विक्रम 9. उदधिक्रमण 10. सीता शोक विनाशन 11. लक्ष्मण प्राणदाता 12. दशग्रीव दर्पहा

द्वादश नाम जप के लाभः– नित्य नियम से नाम लेने से इष्ट की प्राप्ति होती है.– दोपहर में नाम लेनेवाला धनवान होता है.– दोपहर से संध्या के बीच नाम लेने से पारिवारिक सुखों की प्राप्ति होती है.– रात को सोते समय नाम लेने शत्रुओं पर जीत मिलतीहै.हनुमानजी की पूजा के फल, पूजा की विधियों से आप परिचित हो चुके हैं. ये सब आजमाए हुए उपाय हैं. इनका लाभ होता है. इनका फल तब ज्यादा मिलता है यदिहम हनुमानजी की विशेष पूजा में कुछ छोटी-छोटी सावधानियां भी रखैं।

 हनुमानजी की साधना अवधि में और व्रत में संयम रखें. उपासना अवधि में ब्रह्मचर्य का पालन होना चाहिए.– हनुमानजी को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद शुद्ध होना चाहिए. उसमें घी का प्रयोग सबसे उत्तम बतायागया है.– हनुमानजी की पूजा में यदि दीपक जला रहे हैं तो घी के दीपक की ही प्रयोग करें.– हनुमानजी को लाल फूल प्रिय हैं. अत: उन्हें लाल फूल विशेष रूप से चढ़ाएं.– हनुमानजी की मूर्ति को जल व पंचामृत से स्नान कराने के बाद सिंदूर में तिल का तेल मिलाकर उसका लेप करना चाहिए. इससे हनुमानजी प्रसन्न होते हैं.– हनुमान साधना हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुंह करके ही शुरू करना चाहिए.– स्त्रियां हनुमानजी को वस्त्र न अर्पित करें. वे ज्यादा से ज्यादा जनेऊ उन्हें अर्पित कर सकती हैं.– हनुमानजी को चमेली का तेल भी चढ़ाया जाता है.– हनुमानजी की पूजा आरंभ करने से पूर्व श्रीरामजी की स्तुति जरूर कर लें.

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