शोध संस्थानों के ताजा शोध नतीजे बताते हैं कि हवन वातावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने के साथ ही अच्छी सेहत के लिए जरूरी है। हवन के धुएँ से प्राण में संजीवनी शक्ति का संचार होता है। हवन के माध्यम से बीमारियों से छुटकारा पाने का जिक्र ऋग्वेद में भी है।
हवन के लिए पवित्रता की जरूरत होती है ताकि सेहत के साथ उसकी आध्यात्मिक शुद्धता भी बनी रहे।हवन करने से पूर्व स्वच्छता का ख्याल रखें। हवन के लिए आम की लकड़ी, बेल, नीम, पलाश का पौधा, कलीगंज, देवदार की जड़, गूलर की छाल और पत्ती, पीपल की छाल और तना, बेर, आम की पत्ती और तना, चंदन की लकड़ी, तिल, जामुन की कोमल पत्ती, अश्वगंधा की जड़, तमाल यानि कपूर, लौंग, चावल, ब्राम्ही, मुलैठी की जड़, बहेड़ा का फल और हर्रे तथा घी, शकर जौ, तिल, गुगल, लोभान, इलायची एवं अन्य वनस्पतियों का बूरा उपयोगी होता है।
हवन के लिए गाय के गोबर से बनी छोटी-छोटी कटोरियाँ या उपले घी में डूबो कर डाले जाते हैं। हवन से हर प्रकार के 94 प्रतिशत जीवाणुओं का नाश होता है, अत: घर की शुद्धि तथा सेहत के लिए प्रत्येक घर में हवन करना चाहिए।
हवन के साथ कोई मंत्र का जाप करने से सकारात्मक ध्वनि तरंगित होती है, शरीर में ऊर्जा का संचार होता है, अत: कोई भी मंत्र सुविधानुसार बोला जा सकता है।
हवन में अधिकतर आम की लकड़ियों का ही प्रयोग किया जाता है। और जब आम की लकड़ियों को जलाया जाता है तो उनमें से एक लाभकारी गैस उत्पन्न होती है जिससे वातावरण में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया और जीवाणु समाप्त हो जाते हैं। इसके साथ ही वातावरण भी शुद्ध होता है। बता दें गुड़ को जलने से भी यह गैस उत्पन्न होती है।
एक अन्य रिसर्च के मुताबिक यदि आधे घंटे हवन में बैठा जाए और हवन के धुएं का शरीर से सम्पर्क हो तो टाइफाइड जैसे जानलेवा रोग फैलाने वाले जीवाणु खत्म हो जाते है और शरीर शुद्ध हो जाता है।
ज्योतिषाचार्य- श्री राजेश शाश्त्री जी (फूप जिला-भिंड (म. प्र.)
Leave a Comment