आधुनिक दुनिया,समय की कमी के कारण 90% लोग मंत्र-जप नही कर पाते और रत्न धारण करके अपने भाग्य को चमकाने की कोशिश करते है…
1. रत्नों में मुख्यतः नौ ही रत्न ज्यादा पहने जाते हैं। सूर्य के लिए माणिक्य, चन्द्र के लिए मोती, मंगल के लिए मूँगा, बुध के लिए पन्ना, गुरु के लिए पुखराज, शुक्र के लिए हीरा, शनि के लिए नीलम, राहु के लिए गोमेद और केतु के लिए लहसुनिया…9 रत्नों के अलावा 84 उपरत्न है जिसमे मुख्यतः फिरोजा,हकिक,सुनैला आदि आते है।
रत्न आपको फायदा या नुकसान दोनों पंहुचा सकते है लेकिन कुछ उपरत्नो के कोई side-effect नही है जैसे की “काला हकीक”।
2. हमेशा असली रत्न ही फायदा देगे नही तो नकली रत्नों को महज एक काँच का साधारण सा टुकड़ा ही मानके चले। रत्न दिन के समय सूर्य की VIBGYOR किरणों में से किसी एक रंग को अवशोषित करके हमारी नसों के माध्यम से खून तक गर्मी पहुचाते है।
3. रत्न पहनने के दिन,समय और धातु ग्रहों के अनुसार अलग-अलग होती है।माणिक्य,पुखराज,हीरा,पन्ना सोने में,मूँगा सोना या माणिक्य में,मोती चाँदी में,गोमेद-लहसुनिया अष्टधातु में..हीरा प्लेटिनम में सबसे शुभ फल देता है।
4. कभी भी लग्न कुंडली में बैठे नीच ग्रहों के रत्न धारण नही करना चाहिए क्योकि उससे ग्रहों का नीचत्व और बड़ जाता है। आधुनिक ज्योतिष सॉफ्टवेर के मदद से लग्न,पंचम और नवम भाव के स्वामी के ग्रहों के रत्न पहनने की सलाह देते है,पर यहाँ सभी को ध्यान रखना चाहिए। एक राशि में किसी भी ग्रह की उम्र 30 साल/डिग्री मानकर चले..0-10 डिग्री(नन्हा बालक) या 20-30 डिग्री(बुजुर्ग) के हो तो उन्हें बल की जरुरत होती है यदि ग्रह अच्छे भाव में हो तो उनके रत्न धारण किये जा सकते है।यदि ये ग्रह 6,8 या 12 में बैठे हो तो कभी इनके रत्न धारण ना करे..युवा उम्र 10-20° वाले योगकारक ग्रह यदि कुंडली में अच्छी अवस्था में हो तो उनके रत्न धारण ना करे..जैसे कालपुरुष की कुंडली में लग्नेश उच्च का होकर 10 भाव में यदि 10-20° का हो तो वो बहुत मजबूत है,इनको रत्न की आवश्कता ही नही है। यदि आप किसी स्वस्थ इंसान जिसका पेट भरा हुआ है उसे 2 रोटी और खिला दोगे तो क्या होगा मित्रो?? बदहजमी ना,ये बात ग्रहों पर भी लागू होती है।
5. रत्नों को हमेशा स्वच्छ रखना चाहिए,क्रेक वाले रत्न ना धारण करे..महीने में कम से कम एक बार,रत्नों के दिन एक कटोरी पानी में नमक डालकर को हल्का गर्म करे और उसमे अपना रत्न 10 मिनीट डूबा दे…उसके बाद रत्न की गंदगी निकल जायेगी और आपका रत्न फिर Activate हो जाएगा..पानी उतना ही गर्म करे जिससे रत्न को नुकसान ना पहुँचे। इसके बाद उसे कच्चे दूध और गंगाजल से धोकर अगरबत्ती दिखाकर रत्नेश के बीज मंत्र का जाप करते हुए धारण करे ,इससेआपका रत्न अच्छे फल देगा,कचरा भी साफ़ हो जाएगा और वापिस रत्न लेने का पैसा भी बचेगा।
6. कुछ विशेष परिस्थितियों में यदि योगकारक ग्रह नीच के हो तो ये उपाय किये जा सकते है। कालपुरुष की कुंडली में मानो गुरु नीच के है,तब आप पुखराज को चाँदी में जड़वाकर कनिस्ठा ऊँगली(सबसे अंतिम ऊँगली जो चंद्रमा के लिए मानी जाती है) में धारण करे।क्योकि गुरु चंद्र कक राशि में उच्च का होता है और शुभ फल देता है..इसी तरह आप मोती को तर्जनी में धारण कर सकते यदि चंद्रमा नीच का हो तो। ये सिर्फ कुछ विशेष परिस्थितियों में ही किया जाता है और इसके लिए आपको किसी बहुत अच्छे ज्योतिष से संपर्क करना चाहिए।
7. राहू का गोमेद और केतु का लहसुनिया कभी धारण नही किया जाना चाहिए क्योकि राहू/केतु कितने भी शुभ है आखिर है अति-अशुभ ग्रह,जब इनका दिमाग ख़राब हुआ तो पहले आपको ही काटेगे अतः इनके दान और मंत्रो का जाप किया जाना चाहिए। यदि इनके रत्न पहनना ही हो तो सिर्फ short time 43 दिन के लिए ही पहने और उसके बाद उसे उतारकर धोकर किसी भी शिवलिंग में चढ़ा आये।
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