एक बार अकबर और बिरबल हमेशा की तरह टहल रहे थे, रास्ते में एक ???? तुलसी का पौधा दिखा….
बिरबल ने झुक कर प्रणाम किया….!
अकबर : कौन है यह ?
बीरबल : हमारी माता है…
अकबर ने तुलसी के झाड़ को उखाड़ कर फ़ेंक दिया और बोला…. कितनी माता हैं तुम हिन्दुओं की…????
बिरबल को उसका ज़बाब देने की एक तरकीब सूझी… आगे एक बिच्छुपत्ती (खुजली वाला) झाड़ मिला…. बिरबल ने उसे दंडवत प्रणाम कर कहा : जय हो पिता जी मेरे….
अकबर को ????गुस्सा आया…. दोनों हाथो से उस झाड़ को उखाड़ने लगा.. उस झाड पर छोटे छोटे फल लगे हुऐं थे उसे हाथ लगाने से अकबर को भयंकर खुजली होने लगी
अकबर : बिरबल…. ये क्या हो गया…??
बिरबल : आप ने मेरी माता को उख़ाड़ फ़ेका इसलिए पिता जी गुस्सा हो गऐ है….
अकबर जहाँ भी हाथ लगता खुजली होने लगती..
अकबर : बिरबल जल्दी से कोई उपाय बतायो…!
बिरबल : हुज़ूर उपाय तो है लेकिन वो भी हमारी *माता* है.. उससे विनती करनी पड़ेगी…
अकबर : जल्दी करो….
आगे ????गाय खड़ी थी बिरबल ने कहा गाय से विनती करो… कि हे माता दवाई दो..
गाय ने गोबर कर दिया….
अकबर के शरीर पर गोबरका लेप करने से फौरन ख़ुजली से राहत मिल गयी….!
अकबर : बिरबल… अब क्या राजमहल में इस हाल में जायेंगे….?
बिरबल : नहीं हुज़ूर… हमारी एक और माता है….
सामने यमुना जी बह रही थी..
अब आप बोलिऐ.. जय यमुना मैया की.. और कूद जाईऐं….
नहा कर अपने आप को तरोताजा महसूस करते हुए अकबर ने बिरबल से कहा कि ये
तुलसी माता,
गौ माता,
यमुना माता,
गंगा माता..
तो वाकई जगत माता हैं….
इनको मानने वालों को ही हिन्दु कहा करते हैं..!
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