हर घर में कोई न कोई वास्तु दोष जरूर होता है जिसकी वजह से घर में सुख और लक्ष्मी का आभाव होता है, दरिद्रता की मानसिकता का सबसे बड़ा लक्षण आत्मविश्वास का अभाव है। दरिद्रता का दर्द संसार में सबसे अधिक दुखदायी है। इसलिए इन आसान से उपायों को आजमाकर दरिद्रता को दूर किया जा सकता है।
– यदि प्रवेश द्वार जमीन से रगड़ खाता हुआ खुला या बंद हो तो बहुत कष्ट के बाद धन आगमन होता है
– उत्तर दिशा की ओर ढलान जितनी अधिक होगी संपत्ति में उतनी ही वृद्धि होगी।
– यदि कर्ज से अत्यधिक परेशान हैं तो ढलान ईशान दिशा की ओर करा दें, कर्ज से मुक्ति मिलेगी।
– उत्तर-पूर्व भाग में भूमिगत टैंक या टंकी बनवा दें। टंकी की लम्बाई, चौड़ाई व गहराई के अनुरूप आय बढ़ेगी।
– आग्नेय कोण में धन रखने से आमदनी से ज्यादा खर्चे बढ़ जाते हैं तथा कर्ज़ की स्थिति बनती है
– दो ऊंचे भवनों से घिरा हुआ भवन या भारी भवनों के बीच दबा हुआ भवन भूखण्ड खरीदने से बचें क्योंकि दबा हुआ भवन भूखंड गरीबी एवं कर्ज का सूचक है।
– दक्षिण-पश्चिम व दक्षिण दिशा में भूमिगत टैंक, कुआं या नल होने पर घर में दरिद्रता का वास होता है।
– पूर्व तथा उत्तर दिशा में भूलकर भी भारी वस्तु न रखें अन्यथा कर्ज, हानि व घाटे का सामना करना पड़ेगा।
– कोई भी कोना कटा हुआ न हो, न ही कम होना चाहिए। गलत दीवार से धन का अभाव हो जाता है।
– भवन के मध्य भाग में अंडर ग्राउन्ड टैंक या बेसटैंक न बनवाएं।
– घर में टूटे बर्तन व टूटी हुई खाट नहीं होनी चाहिए, न ही टूटे-फूटे बर्तनों में खाना खाएं। इससे दरिद्रता बढ़ती है।
– वास्तुशास्त्र के अनुसार ईशान ऊंचा हो और नैऋत्य कोण नीचा हो तो निर्धनता रहती है,
– ईशान दिशा में सीढ़ियां न हों।
– मकान का मध्य भाग थोड़ा ऊंचा रखें। इसे नीचा रखने से बिखराव पैदा होगा।
– यदि उत्तर दिशा में ऊंची दीवार बनी है तो उसे छोटा करके दक्षिण में ऊंची दीवार बना दें।
Post Credit : Shri Rahul Bhatt Ji (Vastu Visheshgya)
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