अपनी परम शुभता के लिए जाने जाना वाला बृहस्पति दिनांक 11 अक्टूबर 2018 की शाम 7 बजकर 16 मिनट पर वृश्चिक राशि (मंगल के घर) में प्रवेश करेंगे। बृहस्पति के राशि परिवर्तन के समय चंद्रमा विशाखा नक्षत्र में होगा, जो कि बृहस्पति का नक्षत्र है। तात्पर्य यह है कि आगम काल से ही गुरु बलवती अवस्था मे होंगे। फलस्वरूप वे जातकगण जिनका बृहस्पति योगकारी है, वे जीवन के सभी क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति प्राप्त करेंगे।
मेष – आपकी राशि से गुरु का गोचर अष्टम होगा। जो बहुत ही खराब फल देने के लिए जाना जाता है। लेकिन इस बार गुरु रजत पाद से प्रवेश कर रहा है। जिसके कारण आपको प्रारंभिक संघर्ष देगा तथा आर्थिक स्थिति को भी खराब करेगा परंतु रजत पाद से आगमन के कारण उत्तरार्ध्द सामान्य होगा। इस बीच आप स्वयं के बनाये योजना पर उचित शुभ चिंतको से परामर्श अवश्य ले।
नकारात्मकता को न्यून बनाने हेतु नियमित रूप से ‘ॐ बृं बृहस्पतये नमः’ का 108 बार जप अवश्य करे।
वृष – आपकी राशि से सप्तम बृहस्पति का गोचर स्वर्ण पाद से हो रहा है, जिसके कारण आपको हर क्षेत्र में सफलता दिलाएगी। नौकरी व व्यवसाय की दिशा में चतुर्दिक सफलता प्रदान कराएगा। यह याद रखे कि आप की शनि की ढैय्या चल रही है। अतः शनि की सावधानी अवश्य रखें। विदेश से जुड़े कार्यो को करने में बहुत सावधानी रखें। संभव हो सके तो बचने की कोशिश करें।
मिथुन – आप की राशि से छठे भाव मे गुरु का गोचर आपके लिए बहुत शुभकर नही कहा जायेगा। रोग, शत्रु, से परेशानी के साथ साथ जातक के चलते हुए कार्यो में अचानक अवरोध का सामना करना पड़ सकता है। वे जातक जिन्हें पाचन से संबंधित समस्या है, उन्हें विशेष सावधान रहना चाहिए। यद्यपि राशि से छठे गुरु का गमन ताम्र पाद से हो रहा है जो कि धनदायी माना जाता है। लेकिन यह फल तभी प्राप्त होगा जब आप कार्य को बहुत सावधानी से करेंगे। नियमित रुप से राम रक्षा स्तोत्र का पाठ परम कल्याणकारी सिद्ध होगा।
कर्क – बृहस्पति का पंचम भाव का गोचर, मिश्रित फल प्रदान करने वाला कहा जायेगा। यह मन मे अंतर्द्वंद्व पैदा कर जातक को भटकाने का प्रयास करता है। फलतः जातक कभी कभी किसी भी कीमत पर सफलता प्राप्त करने की तरफ बढ़ने का प्रयास करता है, परंतु सफल नही होता। संतान पक्ष से थोड़ी चिंता मिल सकती है। यहां यह ध्यान रखें कि उपरोक्त फल मात्र पूर्वार्द्ध में ही प्राप्त होता है, तत्पश्चात गुरु आर्थिक प्रगति प्रदान करने के साथ साथ सभी प्रकार से सफलता प्रदान करता है। अच्छी सफलता हेतु नियमित रूप से विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें।
सिंह – आपकी राशि से गुरु का गोचर चतुर्थ होगा जो कि मिश्रित फल प्रदान करने वाला कहा जायेगा। आपको अपनी वर्तमान स्थिति को बनाये रखने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ेगा। भूमि, भवन से संबंधित कार्य मे बहुत सावधानी रखें, अन्यथा विवाद की स्थिति पैदा होसकती है। माताजी व पत्नी का स्वास्थ्य भी चिंता पैदा कर सकता है। स्थिति को सामान्य बनाने हेतु प्रत्येक बृहस्पतिवार को पीला चावल छू कर दान अवश्य करें।
कन्या – 11 अक्टूबर से लगभग 13 माह तक गुरु आपकी राशि से तृतीय भाव में गोचर करेगा। गुरु का यह गोचर निश्चित रूप से आपके संघर्ष को बढ़ाएगा, परंतु संघर्ष के बाद आप के आशा से अधिक सफलता प्रदान करेगा। ताम्र पद से बृहस्पति का आगमन आपके लिए आर्थिक विकास का मार्ग खोलेगा। भाई व बहन से रिश्तों में थोड़ी परेशानी पैदा कर सकता है। उन जातकों को जिनका जन्मकालिक तृतीयेश दुर्बल हैं, उन्हें थायरॉइड अथवा गले से संबंधित अन्य रोग दे सकता है। इससे बचाव हेतु नियमित मृत्युंजय मंत्र का जप अवश्य करें।
तुला – बृहस्पति नामक ग्रह आपकी राशि से द्वितीय भाव मे गोचर करेगा। इसका आगमन स्वर्ण पाद से है। अतः सफलता का मार्ग प्रशस्त होगा, नौकरी प्राप्त होने की पूरी संभावना है। व्यवसाय के क्षेत्र में भी अपेक्षित सफलता प्राप्त होगी। नए व्यवसाय का रास्ता भी बनेगा। आपको स्वयं तथा परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान रखना होगा, नहीं तो सफलता आधी रह जायेगी।
वृश्चिक – राशि पर बृहस्पति का परिक्रमण मिला-जुला फल प्रदान करने वाला कहा जायेगा। यदि जन्मकालिक गुरु अकारक अथवा पापाक्रांत अवस्था में है, तो जातक को व्यावसायिक हानि, नौकरी में संकट, आर्थिक व्यय व पत्नी के स्वास्थ्य से संबंधित परेशानी देगा परंतु यदि जन्मकालिक गुरु कारक अवस्था मे हो व बली हो तो निश्चित रूप से आर्थिक, सामाजिक प्रगति प्रदान करने के साथ साथ नया अवसर प्रदान करेगा।
धनु – आपकी राशि का अधिपति भी गुरु है जो कि आपकी राशि से बारहवें भाव मे परिक्रमण करेगा। जो कि आप को शारीरिक, मानसिक तथा आर्थिक कष्ट प्रदान कर सकता है। अतः पूरे बृहस्पति के परिक्रमण काल मे प्रत्येक निर्णय बहुत सोच विचार कर ही लें। जोखिम भरा कोई कार्य न करे। विपरीत गुरु के गोचर को न्यून करने हेतु देवाधिदेव महादेव से यह प्रार्थना नियमित 108 बार करें —
शिव समान दाता नहीं विपत्ति निवारन हार।
परदा मोरी राखियो, वरधा के सवार।।
मकर – आपके अच्छे दिनों की शुरुआत होने जा रही है। लंबे संघर्ष के बाद बृहस्पति आप के लाभ भाव मे गमन करने जारहा है। एकादश भाव का गुरु का गोचर चतुर्दिक विकास प्रदान कराने वाला कहा जायेगा। रोजी रोजगार, यश, प्रसिद्धि, धन दौलत आदि सभी क्षेत्रों में सफलता सुनिश्चित कही जाएगी। लेकिन पूरे साल नशे का सेवन कदापि न करें।
कुम्भ – आपकी राशि से दशम भाव मे बृहस्पति का गोचर सामान्य फलकारी कहा जायेगा। यह ध्यान रखें कि नौकरी में बार बार परिवर्तन कदापि न करें। विदेश जाने हेतु जातक को मौके खूब मिलेंगे। व्यवसाय करने वाले जातकों को प्रारंभ में थोड़ी समस्या आएगी, लेकिन उत्तरार्द्ध में फल सामान्य प्राप्त होगा। हृदय रोग, उच्च रक्तचाप से संबंधित जातको को नियमित रूप से लघु मृत्युंजय मंत्र का जप 108 बार अवश्य करें।
मीन – आपकी राशि का अधिपति ग्रह ही गुरु है, जो 11 अक्टूबर से 13 माह तक आपके भाग्य की राशि मे गोचर करेगा। जो यह एहसास कराएगा कि प्रत्येक कदम पर भाग्य आपके साथ है। रुका हुआ कार्य संपादित होगा। पूर्व के रुके कार्य सहजता पूर्वक होंगे। शिक्षा, पत्रकारिता, कपड़े से संबंधित कार्य, आयात-निर्यात आदि का कार्य करने वालों के लिए यह समय स्वर्णिम कहा जायेगा। उत्तरोतर विकास के लिए श्री विष्णु भगवान दर्शन प्रत्येक गुरुवार को अवश्य करें।
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