इस मंदिर में साक्षात भगवान विष्णु आते है विश्राम करने, राजीवलोचन मंदिर ( छत्तीसगढ़ ), पुरे भारत में भगवान विष्णु के अनेको अद्भुत मंदिर है इन्ही अद्भुत मंदिर में से एक हे ”राजीवलोचन मंदिर” (Rajeev Lochan Temple) जो छत्तीसगढ़ में महानदी तट पर स्थित है. इस मंदिर(Rajeev Lochan Temple) में सक्षात स्वयं भगवान विष्णु रात्रि को विश्राम करने आते है जिसका प्रमाण है मंदिर के अंदर पलंग पे बिछाई गई चादर में आई सिलवटे व तेल से भरी कटोरी का खाली मिलना है. इस मंदिर(Rajeev Lochan Temple) के पुजारी हर रोज रात्रि के समय मंदिर के गेट में ताला लगाने से पहले मंदिर के अंदर भगवान विष्णु के विश्राम के लिए रखी गई पलंग के समाने एक कटोरे में तेल भर कर रख देते है.
जब प्रातः काल मंदिर(Rajeev Lochan Temple) का गेट खोला जाता है तो पलंग के सामने रखा कटोरा खाली मिलता है तथा पलंग के उपर बिछाई चादर सिकुड़ी व सिलवटे पड़ी हुई होती है जिसमे तेल के छोटे छोटे धब्बे दिखाई देते है. जैसे की किसी ने रात्रि के समय चमत्कारिक तरह से मंदिर के ताले लगे बंद दरवाजे से मंदिर में प्रवेश कर पलंग में लेटा हो तथा पलंग के पास पड़े तेल से अपनी मालिश करी हो.
यहाँ के पुजारी और लोगो का मानना है की स्वयं भगवान विष्णु यहाँ आते है तथा मालिश करते है इसके बाद वे यही शयन करते है. यह बात यहाँ श्रृद्धालुओ की बीच आस्था का केंद्र बनी हुई है. मंदिर(rajiv lochan temple) के इस चमत्कार की वास्तविकता की जाँच हेतु अनेको बार कई लोगो ने मंदिर के गेट के बाहर पहरा दिया तथा मंदिर के गेट में हर रोज ताले लगाए जाते है परन्तु हर बार सुबह मंदिर में पलंग पर सलवटे देखने को मिलती है तथा तेल का भरा कटोरा खाली मिलता है.
यहाँ पर भगवान विष्णु राजिव लोचम (Rajeev Lochan Temple) के नाम से जाने जाते है तथा उनके नाम पर ही इस तीर्थ का नाम राजीव लोचम पड़ा है. महानदी, पैरी तथा सोंढूर नदी का यहाँ संगम होने के कारण छत्तीसगढ़ का यह स्थान त्रिवणी संगम कहलाता है. संगम के मध्य में ही कुलेश्वर महादेव का एक विशाल मंदिर भी स्थित है जहा पर भगवान श्री राम ने वनवास के दौरान अपने कुल देवता की पूजा करी थी. राजीवलोचन का यह प्रसिद्ध मंदिर(Rajeev Lochan Temple) चतुर्थाकर में बनाया गया है तथा उत्तर व दक्षिण में मंदिर के प्रवेश द्वार है.
मंदिर (Rajeev Lochan Temple) का महामण्डप बारह खम्बो पर स्थित है तथा मंडप के बीचो-बीच गरुड़ देव की प्रतिमा हाथ जोड़े खड़ी है.मंदिर के गर्भगृह के दरवाजे के बाए-दाएं तथा उपर अनेक चित्र बने हुए है जिनमे सर्प मानव व मिथुन की आकृति की मुर्तिया बनी हुई है. गर्भगृह में राजिवलोचन अर्थात् विष्णु का विग्रह सिंहासन पर स्थित है. यह प्रतिमा काले पत्थर की बनी विष्णु की चतुर्भुजी मूर्ति है. जिसके हाथों में शंक, चक्र, गदा और पदम है जिसकी लोचन के नाम से पूजा होती है. मंदिर के दोनों दिशाओं में परिक्रमा पथ और भण्डार गृह बना हुआ है.
हर वर्ष यहाँ माघ पूर्णिमा से लेकर शिवरात्रि तक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है , यह मेला यहाँ राजिम कुम्भ के नाम से जाना जाता है. माघ पूर्णिमा को भगवान राजिव लोचन (Rajeev Lochan Temple) के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है तथा श्रृद्धालुओ का विशवास है की इस दिन यहाँ त्रिवेणी संगम में स्नान करने से हर प्रकार की बाधाओं व पापो से मुक्ति मिलती है !
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