पूजा करते समय भगवान के सामने खड़े होकर या बैठकर पूजा क्यो नहीं करनी चाहिए ? क्या है इसका वैज्ञानिक रहश्य ?
हिन्दू सनातन धर्म में हमेशा भगवान की पूजा मंदिर के बगल में खड़े होकर या बैठ कर ही करनी चाहिए । मंदिर में भगवान् की मुर्तिओं का मुहु हमेशा पूरब दिशा में करना चाहिए तथा जब आप पूजा करे तो आपका मुहू उत्तर की तरफ होना चाहिए ।
पूरे विश्व के मंदिरो का मुहू हमेशा पूरब दिशा में होता है क्योकि पूरब दिशा से सूर्य उदय होता है और सूर्य की किरणों में आत्मा का वास होता है । अगर मंदिर की मूर्ति पर सूर्य की पहली किरण पड़ती है तो उस मूर्ति में भगवान का वास स्वतः हो जाता है ।
अब भगवान का मुहू तो पूरब दिशा में हो गया तो आपका पूजा करते समय पश्चिम मे होगा जोकि गलत है । इसलिए हमारा मुहू हरिद्वार यानी उत्तर की ओर होना चाहिए । जब आप पूजा करते हो तो आपका ध्यान भगवान मे होता है । और चुम्बकीय तरंगे उत्तर से दक्षिण और दक्षिण से उत्तर को चलती है । अगर आपका मुहू उत्तर को रहेगा तो ध्यान बहुत ही आसानी से लगेगा । नहीं तो आप परेशान हो जाएंगे । पूजा में ध्यान नहीं लगेगा ।
आपने हनुमान जी को देखा होगा कि वो हमेशा प्रभु राम के चरणो में बगल में बैठते है । उनको कभी भी प्रभु राम के सामने बैठे नहीं देखा होगा ।
अब इसका वैज्ञानिक कारण क्या है ?
प्रथ्वी हमेशा पश्चिम से पूरब की ओर भ्रमण करती है तो हवा का स्वाभाविक बहना पूरब से पश्चिम में होगा । अगर आप पूजा करते समय भगवान के सामने बैठ जाते है तो आपके शरीर की बदबू हवा के कारण भगवान को दूषित करेगी । अगर आप बगल मे बैठकर पूजा करते है तो आपकी बदबू बगल से निकल जाएगी । इसलिए बड़े बड़े मंदिरों मे भगवान की मूर्ति के सामने बेरिकेट लगा देते है ताकि जनता की बदबू भगवान को दूषित न कर सके ।
इसलिए अपने घर का मंदिर का मुहू पूरब दिशा में रखे तथा अपना उत्तर दिशा में रखे ।
डॉ एच एस रावत ( वैदिक & आध्यात्मिक धर्म उपदेशक )
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