स्वास्थय

ये लाभ नहीं जानते होंगे आप त्रिफला के

Written by Bhakti Pravah

मित्रो आज की भाग-दौड भरी जिंदगी और अनियमीत दिनचर्या से हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। इस लेख में हम आपको बतायेगें की किस तरह से  हम त्रिफला का उपयोग करके कई बिमारियों का उपचार घर पर ही कर सकते है।

आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर मे जितने भी रोग होते है वो त्रिदोष: वात, पित्त, कफ के बिगड़ने से होते है। सिर से लेकर छाती के मध्य भाग तक जितने रोग होते है वो कफ के बिगड़ने के कारण होते है, और छाती के मध्य से पेट खत्म होने तक जितने रोग होते है तो पित्त के बिगड़ने से होते है और उसके नीचे तक जितने रोग होते है वो वात (वायु) के बिगड़ने से होते है। लेकिन कई बार गैस होने से सिरदर्द होता है तब ये वात बिगड़ने से माना जाएगा।
जैसे जुकाम होना ,छींके आना ,खांसी होना ये कफ बिगड़ने के रोग हैं तो ऐसे रोगों में आयुर्वेद में तुलसी लेने को कहा जाता है क्योंकि तुलसी कफ नाशक है।
ऐसे ही पित्त के रोगों के लिए जीरे का पानी लेने को कहा जाता है क्योंकि जीरा पित नाशक है।
इसी तरह मैथी को वात नाशक कहा जाता है लेकिन मैथी ज्यादा लेने से ये वात तो संतुलित हो जाता है लेकिन ये पित को बढ़ा देती है।

महाऋषि वागभट जी कहते है की आयुर्वेद ज़्यादातर ओषधियां वात, पित या कफ नाशक होती है लेकिन त्रिफला ही एक मात्र ऐसे औषधि है जो वात,पित ,कफ तीनों को एक साथ संतुलित करती है
वागभट जी इस त्रिफला की इतनी प्रशंसा करते है की उन्होने आयुर्वेद मे 150 से अधिक सूत्र मात्र त्रिफला पर ही लिखे है । की त्रिफला को इसके साथ लेंगे तो ये लाभ होगा त्रिफला को उसके साथ लेंगे तो ये लाभ होगा ।
हम आज आपको बताते हैं त्रिफला का अर्थ क्या है ?

त्रिफला = तीन फल
कौन से तीन फल ??
1) आंवला
2) बहेडा
3) हरड़
इन तीनों से बनता है त्रिफला चूर्ण ।

वागभट जी त्रिफला चूर्ण के बारे मे और बताते है कि त्रिफला चूर्ण मे तीनों फलो की मात्रा कभी समान नहीं होनी चाहिए । ये अधिक उपयोगी नहीं होता (आज कल बाज़ारों मे मिलने वाले लगभग सभी त्रिफला चूर्ण मे तीनों फलों की मात्रा बराबर होती है )

त्रिफला चूर्ण हमेशा 1:2:3 की मात्रा मे ही बनाना चाहिए। अर्थात मान लो आपको 200 ग्राम त्रिफला चूर्ण बनाना है तो उसमे मात्रा…

हरड चूर्ण होना चाहिए = 33.33 ग्राम

बहेडा चूर्ण होना चाहिए= 66.66 ग्राम

आंवला चूर्ण चाहिए 99.99 ग्राम

तो इन तीनों को मिलाने से बनेगा सम्पूर्ण आयुर्वेद मे बताई हुई विधि का त्रिफला चूर्ण । जो की शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी है ।
वागभट जी कहते है त्रिफला का सेवन अलग-अलग समय करने से भिन्न-भिन्न परिणाम आते है ।
रात को जो आप त्रिफला चूर्ण लेंगे तो वो रेचक है अर्थात (सफाई करने वाला)
पेट की सफाई करने वाला ,बड़ी आंत की सफाई करने वाला शरीर के सभी अंगो की सफाई करने वाला । कब्जियत दूर करने वाला 30-40 साल पुरानी कब्जियत को भी दूर कर देता है ये त्रिफला चूर्ण और सुबह त्रिफला लेने को पोषक कहा गया, अर्थात अगर आपको पोषक तत्वों की पूर्ति करनी है वात-पित कफ को संतुलित रखना है तो आप त्रिफला सुबह लीजिये सुबह का त्रिफला पोषक का काम करेगा ! और अगर आपको कब्जियत मिटानी है तो त्रिफला चूर्ण रात को लीिजए। त्रिफला कितनी मात्रा मे लेना है? किसके साथ लेना है ? रात को कब्ज दूर करने के लिए त्रिफला ले रहे है तो एक टी स्पून (आधा बड़ा चम्मच) गर्म पानी के साथ लें और ऊपर से दूध पी लें सुबह त्रिफला का सेवन करना है तो शहद या गुड़ के सा लें तीन महीने त्रिफला लेने के बाद 20 से 25 दिन छोड़ दें फिर दुबारा सेवन शुरू कर सकते हैं।