अध्यात्म

जानिये क्योँ बंद होनी चाहिए मृत्युभोज की यह कुरीति समाज से

Written by Bhakti Pravah

हिन्दू धर्म में अनेको प्रकार की रीतियाँ और कुरीतियाँ प्रचलित है चाहे वो धर्म के आधार पर हो, शाश्त्रों के अनुसार हो या पुरानों के अनुसार हो, कुछ कुरीतियाँ ऐसी है जिसका कोई भी प्रकार से प्रमाण नहीं है जैसे की मृत्युभोज !

जैसा की हम सभी जानते है की शाश्त्रों और पुरानों में बहुत सी ऐसी बातें बताई गई है जिसका अगर अनुसरण किया जाए और समझा जाये तो मतलब कुछ और ही निकलता है और हम सभी भेड़ चाल में चलकर उन रीति रिवाजों को कुरीतिओं में बदल देते है, जैसा की महाभारत मैं भगवान श्री कृष्णा ने जब दुर्योधन के यहाँ जाकर युद्ध की जगह पर संधि करने का प्रस्ताव दिया तो दुर्योधन ने उसे ठुकरा दिया और जब भगवान श्री कृष्णा वहां से जाने लगे तो दुर्योधन ने प्रसाद ग्रहण करने के लिए कहा तो श्री कृष्णा ने मना कर दिया ।

उसके पीछे का कारण यह था की जो भी भोजन हम ग्रहण करते है वैसा ही हमारा मन होता है, कहते है जैसा खाओ अन्न वैसा होगा मन. जब भी आप खाना खा रहे है या बना रहे है यदि उस समय आपका दिल दिमाग किसी और चीज़ में लगा हुआ है या दुखी मन से भोजन बना रहे है तो वो भोजन अध्यात्म दृष्टि से दूषित हो जाता है और उसका सेवन शाश्त्रों के अनुसार वर्जित बताया गया है ।

हमारा उद्देश्य किसी की श्रधा को आहात पहुचाना बिलकुल नहीं है मगर जैसा आजकल काफी जगह देखने में मिला है की मृत्युभोज को बंद कर देना चाहिए हमारे उद्देश्य से भी सही है, क्योँ की जब 12 दिन तक शोक मनाने के बाद तैरवी को जब आप खाना बनाते है तो वह के उर्जा मंडल में एक नकारात्मक उर्जा का प्रभाव रहता है जिसकी वजह से जो भी यह भोजन ग्रहण करता है वो अपने आप में उर्जाहीन महसूस करेंगे, यदि आप इस प्रथा को रिवाज को बनाये ही रखना चाहते है तो जो भी खर्चा आप इस मृत्यु भोज में करते है वही राशि यदि आप किसी गरीब की मदद करने में या किसी गरीब को खाना खिलाने में करेंगे तो आपको जरुर पुण्य फल मिलेगा ।

कई बार यह भी होता है की जो घर में कमाने वाले होते है उन्ही का स्वर्गवास हो जाता है, और आर्थिक स्तिथि अच्छी नहीं होने की अवस्था में उन्हें कई बार कर्जा करके इस रिवाज को पूरा करना पड़ता है तो जरा सोचिये जो व्यक्ति पहले से ही इतना परेशान है, ऊपर से जो उनका भरण पोषण करने वाला था वो भी शरीर छोड़ कर चला गया तो क्यों माने ऐसे रिवाज को, जो हमारे परिवार को और अधिक कष्टप्रद है ।

नोट : हमारा उद्देश्य किसी की भावना या श्रधा को ठेस पहुचना नहीं है, यदि आपको पोस्ट पढने के बाद भी लगता है की आपको मृत्यु भोज करना चाहिए तो जैसी आप की इच्छा और यदि आपको यह पोस्ट अच्छा और उपयोगी लगा हो तो कृपया इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ।

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