वास्तु

किसी भी कमी के लिये वास्तु शास्त्र अपनाये

Written by Bhakti Pravah

तुरन्त, बीमारी, शादी, बच्चे की चाहत, शिक्षा में कमी के लिये वास्तु शास्त्र अपनाये, जल्दी लाभ पाये। एक बार जरूर आजमाये।
■शिक्षा के लिये पूरब की दिशा वह हरा रंग लाभ देगा।
■नौकरी पाना या शादी हो जाना सदा चन्द्रमा की दिशा वायव्य (NW) लाभकारी है।
■बीमार व्यक्ति का सिर सदा पश्चिम मे लाभ देगा।
■भोजन सदा पूरब या ईशान मुखी ही होकर करें।
■घर में लगाएंगे गल्त तस्वीरें, तो आ जाएंगे बुरे दिन।
घर में छोटा देवालय होना शुभ माना जाता है, इससे परिजनों को आध्यात्मिक शक्ति मिलती है, कई बार हम ऐसे देवालय अथवा घर के किसी भी हिस्से में प्रतिमा आदि स्थापित कर देते हैं। वास्तु के अनुसार यह उचित नहीं हैं।
■कुछ प्रतिमाएं ऐसी भी हैं जिनकी स्थापना घर में करने से अशुभ या विपरीत फल मिलता है। जानिए ऐसी ही कुछ प्रतिमाओं के बारे में जिन्हें घर में स्थापित नहीं करना चाहिए।
★भैरव की पूजा अत्यंत चमत्कारी मानी जाती है। भैरव भी शिव का ही एक रूप माने जाते हैं परंतु उनका मंदिर घर में बनाना अथवा उनकी प्रतिमा की स्थापना घर में करना वर्जित होता है।
★इन संबंध तंत्रशास्त्र से होता और इनका पूजन तांत्रिक विधि से किया जाता है, जो गृहस्थ जीवन के लिए उचित नहीं है।
★भगवान शिव को नृत्य का देव माना जाता है। वे सभी विद्याओं के स्वामी हैं और नृत्य भी इनमें से एक है। वास्तु की मान्यता के अनुसार घर में नटराज की प्रतिमा नहीं लगानी चाहिए। यह शिव का एक रूप है जिसमें वे तांडव कर रहे हैं। तांडव नृत्य गृहस्थ जीवन में शुभ फलदायक नहीं होता।
★मां काली देवी जगदंबा का एक रूप हैं। उनका काली स्वरूप दुष्टों के ध्वंस के लिए है। अगर घर में देवी की प्रतिमा या चित्र लगाएं तो वे ऐसे हों जिनमें सौम्य रूप झलकता हो। युद्ध अथवा विकराल रूप की प्रतिमा या चित्र घर में नहीं होने चाहिए।
★शनि न्याय के देवता माने जाते हैं, उनके मंदिरों में पूजन के साथ तेल अर्पित भी किया जाता है। शनि की शांति के अनेक उपाय हैं, लेकिन घर में शनि की प्रतिमा, चित्र आदि नहीं होने चाहिए।
★घर में शनिदेव का मंदिर नहीं बनाना चाहिए। शनि की दृष्टि कष्ट प्रदान करने वाली होती है, अत: घर में शनि की किसी भी रूप में स्थापना नहीं होनी चाहिए।
★बहु मुर्ति प्रथा भी बंद करो, यह मानसिक तनाव बढ़ाती है।

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