अंकुरित अनाज के फायदे और तैयार करने की विधि के बारे मैं बहुत कम लोग है जो जानते है क्यूंकि आजकल के फास्टफूड और चलन के अनुसार यह सब चीज़ें धीरे धीरे कम होती जा रही है जिनकी वजह से शरीर को वो पोषक तत्व नहीं मिल पाते जो मिलने चाहिए. तो आज की इस चर्चा में हम आपको बताएँगे की अंकुरित अनाज के फायदे और तैयार करने की विधि क्या है…
1.अनाज को भिगोना : सर्व प्रथम साफ-सुथरे अनाज को मिट्टी के बर्तन में डाल कर उसमें पानी भर के 24 घंटे तक रख दें,इस प्रक्रिया से अंकुरण के लिए प्रयाप्त मात्र में पानी मिल जायेगा.
नोट: मिट्टी में सभी प्रकार के पोषक तत्त्व होते हैं, इसलिए मिट्टी का बर्तन सबसे उत्तम विकल्प हैं.
2.अंकुरण: उसको सूती कपडें में लपेटकर 2 दिनों के लिए रख दें,सूती कपडें में सखने से हवा और सूर्य का प्रकाश प्रयाप्त मात्र में मिलेगा तो अंकुरण की प्रक्रिया तेजी से होगी और अनाज सड़ेगा भी नहीं.
3. उबलना: 2-5 दिन के बाद उनमें अंकुरण हो जायेगा उसको निकल कर उबलते पानी में डाल कर 10 मिनट के लिए रख दें,जिससे उसमें उपस्थित वाइरस निष्क्रिय हो जायेंगे.
4. कैसे खाएं: 1 पानी से निकलकर,सुबह शाम में नाश्ते के रूप में अपने स्वाद अनुसार हलके मसाले और फल का सलाद या सब्जी का सलाद मिला कर खा सकतें हैं.
बैक्टीरिया साबधानियाँ:-
1.इकोली(Ecoli Bacteria) : अनाज को सही एवं साफ-सुथरे ढंग से अंकुरित न किया जाये तो इकोली वेक्टेरिया सक्रीय हो जाता हैं “मूत्र मार्ग संक्रमण” यानि UTI का संकट पैदा हो सकता हैं.
2.साल्मोनेला टाइफी (Salmonella Typhi): ये बैक्टीरिया भी अंकुरित अनाज में पनप सकते हैं जिसके के कारण Typhoid की वीमारी होने की प्रयाकता बढ़ जाती है,जिसका प्रभाव 2 महीने तक भी शरीर में रह सकता हैं,इसलिए अंकुरण सही ढंग से होना चाहिए.
3. लिस्टेरिया (Listeria): इस तरह के बैक्टीरिया से पाचन क्रिया पर तुरंत प्रभाव पड़ सकता हैं जिससे फूड पोइजन जैसी वीमारी हो सकती है.जिस कारण उल्टी दस्त लग सकते हैं,इसलिए हमें अंकुरित अनाज को सही तरह से एवं साफ सुथरे तरीके से ही तैयार करना चाहिए.
Post Source : Ayurved Health.
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