ज्योतिष

लगभग 30 साल बाद शनि वक्री

Written by Bhakti Pravah

दि. 6 अप्रैल 2017 को धनु राशि में वक्री –

वक्री का सामान्य अर्थ उल्टा होता है.भ्रमणचक्र में अपने परिभ्रमण की प्रक्रिया में भ्रमणचक्र के अंडाकार होने से कभी ग्रह धरती से बहुत दूर चले जाते हैं और कभी नजदीक आ जाते हैं. जब जब ग्रह पृथ्वी के अधिक निकट आ जाता है तो पृथ्वी की गति अधिक होने से वह ग्रह उलटी दिशा की ओर जाता हुआ महसूस होता है. वक्री ग्रह के गोचर फल का एक सिद्धांत है.
वक्रा क्रूरा महाक्रूरा, वक्रा शुभा महाशुभा.

दि. 6 अप्रैल 2017 से शनि धनु राशि में वक्री हो गये हैं. इससे पहले 11 अप्रैल 1987 को शनि इसी राशि में वक्री हुये थे. 12 राशियों पर शनि की वक्री चाल का अशुभ असर अधिक और शुभ असर कम रहेगा

शनि की वक्री चाल का देश में प्रभाव –

वक्री शनि के गोचर प्रभाव से देश मे नए कानून बनेंगे. न्याय व्यवस्था के कारण बड़े सामाजिक बदलाव होने के योग बन रहे हैं. सरकार नए प्रोजेक्ट या महत्वपूर्ण काम शुरू कर सकती है. अधूरी और रुकी हुई योजनाओं पर भी काम शुरू होने की संभावनाएं हैं. यातायात और शिक्षा के क्षेत्र में नई योजनाओं पर काम हो सकता है. तिलहन और दलहनों में अस्थिरता रहेगी. पीली धातु, अनाज आदि के दाम बढ़ेंगे. ज्वलनशील पदार्थों में भी तेजी के योग बन रहे हैं. खाद्य पदार्थ महंगे होंगे. देश की अर्थव्यवस्था अस्थिर रहेगी. महंगाई बढ़ सकती है. प्राकृतिक प्रकोप होगा. देश के कुछ हिस्सों में गर्मी का प्रकोप बढने से जन हानि हो सकती है. गर्मी बढ़ेगी. देश में अग्रिकांड होने की संभावना बन रही है.

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