अध्यात्म त्यौहार-व्रत

गुरु पूर्णिमा 27 जुलाई को, इन मंत्रों और कार्यों से मिलेगा असीम पुण्य

Written by Bhakti Pravah

गुरु पूर्णिमा गुरु पूजन का दिन है, लेकिन गुरु प्राप्ति इतनी सहज नहीं है। यदि गुरु प्राप्ति हो जाए तो उनसे श्री गुरु पादुका मंत्र लेने की यथाशक्ति कोशिश करें। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पादुका पूजन करें। गुरु दर्शन करें। नेवैद्य, वस्त्रादि भेंट प्रदान कर दक्षिणादि देकर उनकी आरती करें तथा उनके चरणों में बैठकर उनकी कृपा प्राप्त करें।

यदि गुरु के समीप जाने का अवसर न मिले तो उनके चित्र, पादुकादि प्राप्त कर उनका पूजन करें। गुरु मंत्रों में से किसी एक का लगातार जप गुरु होने की पुण्य प्राप्ति करा सकता है…
गुरु की पूजन के लिए भी यह 4 मंत्र श्रेष्ठ हैं।

1. ॐ गुरुभ्यो नम:।

2. ॐ गुं गुरुभ्यो नम:।

3. ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:।

4. ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।

यही वह मंत्र हैं जिनसे पूर्णता प्राप्त होगी।

श्री गुरु पूर्णिमा :

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जीवन में हर कार्य किसी न किसी के द्वारा सिखाया जाता है। वह ‘गुरु’ कहलाता है। साधार‍णतया गुरु का महत्व अध्यात्म में सर्वोपरि माना गया है जिसमें दीक्षा किसी न किसी रूप में दी जाकर शिष्य की देखरेख उसके कल्याण की भावना से की जाती है।

सभी धर्मों में गुरु का अपनी-अपनी तरह से महत्व है। कुंडलिनी जागरण के लिए सर्वोपरि सहस्रार चक्र में गुरुदेव का वास बतलाया गया है, जो सबके आखिर में सिद्ध होता है।

वे लोग बड़े सौभाग्यशाली होते हैं जिन्हें किसी सद्गुरु से दीक्षा मिली हो। वे लोग जिन्हें गुरु उपलब्ध नहीं है और साधना करना चाहते हैं उनका प्रतिशत समाज में अधिक है। अत: वे इस प्रयोग से लाभान्वित हो सकते हैं।

सर्वप्रथम एक चावल की ढेरी श्वेत वस्त्र पर लगाकर उस पर कलश-नारियल रख दें। उत्तराभिमुख होकर सामने शिवजी का चित्र रख दें।

शिवजी को गुरु मानकर निम्न मंत्र पढ़कर श्रीगुरुदेव का आवाहन करें- 

‘ ॐ वेदादि गुरुदेवाय विद्महे, परम गुरुवे धीमहि, तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।।’

हे गुरुदेव! मैं आपका आह्वान करता हूं।

फिर यथाशक्ति पूजन करें, नैवेद्यादि आरती करें तथा ‘ॐ गुं गुरुभ्यो नम: मंत्र’ की 11, 21, 51 या 108 माला करें।

यदि किसी विशेष साधना को करना चाहते हैं, तो उनकी आज्ञा गुरु से मानसिक रूप से लेकर की जा सकती है।

विशेष कल 27 जुलाई 2018 को आषाढ़ी पूर्णिमा है उसी दिन रात्रि को चन्द्रग्रहण है। अत: गुरु पूजन, दिन के 2 बजे के पहले ही पूर्ण कर लें, बाद में सूतक लग जाएगा। रात्रि में ग्रहण के दौरान जप किया जा सकता है तथा विशेष लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

कल गुरु पूर्णिमा पर क्या करे: 

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कल 27 जुलाई 2018 को गुरु पूर्णिमा पर जब आप अपने गुरुजी का आशीर्वाद लेने जाएं, तब उनका पूजन करके राशि अनुसार भेंट दें, तो आपको उनका आशीर्वाद फलीभूत होगा। उनका आशीर्वाद उन्नति व समृद्धि प्रदान करेगा।

मेष : अन्न के साथ मूंगा दान करें।

वृषभ : चांदी का दान करें।

मिथुन : शॉल का दान करें।

कर्क : चावल दान करें।

सिंह : पंच धातु से बनी सामग्री दान करें।

कन्या : डायमंड का दान करें।

तुला : कम्बल का दान करें।

वृश्चिक : माणक का दान करें।

धनु : स्वर्ण का दान करें।

मकर : पीला वस्त्र दान करें।

कुंभ : सफेद मोती दान करें।

मीन : हल्दी के साथ चने की दाल दान करें।

गुरुपूर्णिमा विशेष

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गुरु पूर्णिमा हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को मनाई जाती है, इस वर्ष 27 जुलाई 2018, शुक्रवार को मनाई जाएगी। गुरु पूर्णिमा व्यास पूजा के नाम से भी जाना जाता है।

वैसे तो किसी भी तरह का ज्ञान देने वाला गुरु कहलाता है, लेकिन तंत्र-मंत्र-अध्यात्म का ज्ञान देने वाले सद्गुरु कहलाते हैं जिनकी प्राप्ति पिछले जन्मों के कर्मों से ही होती है। दीक्षा प्राप्ति जीवन की आधारशिला है। इससे मनुष्य को दिव्यता तथा चैतन्यता प्राप्त होती है तथा वह अपने जीवन के सर्वोच्च शिखर पर पहुंच सकता है। दीक्षा आत्मसंस्कार करती है। दीक्षा से शिष्य सर्वदोषों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है।

इसीलिए कहा गया है-  ‘शीश कटाए गुरु मिले फिर भी सस्ता जान।’

गुरु का महत्व यूं बतलाया गया है- 

‘ गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरा:
गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:।’

दीक्षा के 8 प्रकार मुख्य रूप से हैं-

1. समय दीक्षा – साधना पथ की ओर अग्रसर करना, विचार शुद्ध करना इसमें आता है।

2. ज्ञान दीक्षा- इसमें विचारों की शुद्धि की जाती है।

3. मार्ग दीक्षा – इसमें बीज मंत्र दिया जाता है।

4. शाम्भवी दीक्षा- गुरु, शिष्य की रक्षा का भार स्वयं ले लेते हैं जिससे साधना में अवरोध न हो।

5. चक्र जागरण दीक्षा- मूलाधार चक्र जागृत किया जाता है।

6. विद्या दीक्षा- इसमें शिष्य को विशेष ज्ञान तथा सिद्धियां प्रदान की जाती हैं।

7. शिष्याभिषेक दीक्षा – इसमें तत्व, भोग, शांति निवृत्ति की पूर्णता कराई जाती है।

8. पूर्णाभिषेक दीक्षा – इसमें गुरु अपनी सभी शक्तियां शिष्य को प्रदान करते हैं, जैसे स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने स्वामी विवेकानंद को दी थीं।

क्या करें गुरु पूर्णिमा के दिन :

* प्रातः घर की सफाई, स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ-सुथरे वस्त्र धारण करके तैयार हो जाएं।
* घर के किसी पवित्र स्थान पर पटिए पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाना चाहिए।
* फिर हमें ‘गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये’ मंत्र से पूजा का संकल्प लेना चाहिए।
* तत्पश्चात दसों दिशाओं में अक्षत छोड़ना चाहिए।
* फिर व्यासजी, ब्रह्माजी, शुकदेवजी, गोविंद स्वामीजी और शंकराचार्यजी के नाम, मंत्र से पूजा का आवाहन करना चाहिए।
* अब अपने गुरु अथवा उनके चित्र की पूजा करके उन्हें यथा योग्य दक्षिणा देना चाहिए।

गुरु पूर्णिमा पर यह भी है खास :-
* गुरु पूर्णिमा पर व्यासजी द्वारा रचे हुए ग्रंथों का अध्ययन-मनन करके उनके उपदेशों पर आचरण करना चाहिए।
* यह पर्व श्रद्धा से मनाना चाहिए, अंधविश्वास के आधार पर नहीं।
* इस दिन वस्त्र, फल, फूल व माला अर्पण कर गुरु को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
* गुरु का आशीर्वाद सभी-छोटे-बड़े तथा हर विद्यार्थी के लिए कल्याणकारी तथा ज्ञानवर्द्धक होता है।
* इस दिन केवल गुरु (शिक्षक) ही नहीं, अपितु माता-पिता, बड़े भाई-बहन आदि की भी पूजा का विधान है।

भागवताचार्य एवं ज्योतिषाचार्य- श्री राजेश शाश्त्री जी (फूप जिला-भिंड (म. प्र.)

 

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