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कल 23 जुलाई को है देवशयनी एकादशी व्रत, चातुर्मास हो जायेंगे आरंभ, सभी मंगल कार्य होंगे निषेध

Written by Bhakti Pravah

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी होती है। इस दिन से भगवान विष्‍णु क्षीर सागर में योगनिद्रा करने चले जाते हैं। जब 4 महीने बाद विष्‍णु जी निद्रा पूरी कर के उठते हैं हरिशयनी एकादशी, देवशयनी एकादशी, पद्मा एकादशी, पद्मनाभा एकादशी नाम से पुकारी जाने वाली एकादशी इस वर्ष कल 23 जुलाई 2018 को आ रही है। इस दिन से गृहस्थ लोगों के लिए चातुर्मास नियम प्रारंभ हो जाते हैं। जबकि संन्यासियों का चातुर्मास 27 जुलाई यानी गुरु पूर्णिमा के दिन से शुरू होगा।

देवशयनी एकादशी नाम से ही स्पष्ट है कि इस दिन श्रीहरि शयन करने चले जाते हैं। इस अवधि में श्रीहरि पाताल के राजा बलि के यहां चार मास निवास करते हैं। भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल एकादशी, जिसे देवप्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, के दिन पाताल लोक से अपने लोक लौटते हैं। इस साल यह एकादशी 19 नवंबर 2018 को है। इस दिन चातुर्मास नियम भी समाप्त हो जाते हैं।

चातुर्मास क्यों, मंगल कार्य क्यों नहीं :- 

चातुर्मास असल में संन्यासियों द्वारा समाज को मार्गदर्शन करने का समय है। आम आदमी इन चार महीनों में अगर केवल सत्य ही बोले तो भी उसे अपने अंदर आध्यात्मिक प्रकाश नजर आएगा।

इन चार मासों में कोई भी मंगल कार्य- जैसे विवाह, नवीन गृहप्रवेश आदि नहीं किया जाता है। ऐसा क्यों? तो इसके पीछे सिर्फ यही कारण है कि आप पूरी तरह से ईश्वर की भक्ति में डूबे रहें, सिर्फ ईश्वर की पूजा-अर्चना करें। बदलते मौसम में जब शरीर में रोगों का मुकाबला करने की क्षमता यानी प्रतिरोधक शक्ति बेहद कम होती है, तब आध्यात्मिक शक्ति प्राप्ति के लिए व्रत करना, उपवास रखना और ईश्वर की आराधना करना बेहद लाभदायक माना जाता है।

वास्तव में यह वे दिन होते हैं जब चारों तरफ नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ने लगता है और शुभ शक्तियां कमजोर पड़ने लगती हैं ऐसे में जरूरी होता है कि देव पूजन द्वारा शुभ शक्तियों को जाग्रत रखा जाए। देवप्रबोधिनी एकादशी से देवता के उठने के साथ ही शुभ शक्तियां प्रभावी हो जाती हैं और नकारात्मक शक्तियां क्षीण होने लगती हैं।

क्या ग्रहण करें देवशयनी एकादशी के दिन, जानिए 6 जरूरी बातें…

हिन्दू धर्म में आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी का बहुत महत्व है। यह एकादशी मनुष्य को परलोक में मुक्ति को देने वाली मानी गई है। देवशयनी एकादशी के दिन निम्न चीजों को उपयोग में लाने और ग्रहण करने की सलाह दी गई है।

आइए जानें…

1 देवशयनी एकादशी के दिन देह शुद्धि या सुंदरता के लिए परिमित प्रमाण के पंचगव्य का सेवन करना चाहिए।

2 इस दिन पीले वस्त्र धारण करके पूरा श्रृंगार करें।

3 शालिग्राम के साथ तुलसी का गठबंधन करें तथा हथेली में जल लेकर 9 बार तुलसी की परिक्रमा करें।

4 बाद में बांधी हुई गांठ का यह वस्त्र हमेशा अपने पास रखें।

5 सर्वपाप क्षयपूर्वक सकल पुण्य फल प्राप्त होने के लिए एकमुक्त, नक्तव्रत, अयाचित भोजन या सर्वथा उपवास करने का व्रत ग्रहण करें।

6 वंश वृद्धि के लिए नियमित दूध का सेवन करें।

इसके साथ ही देवशयनी एकादशी की कथा पढ़ने और सुनने से मनुष्य के समस्त पापों का नाश हो जाता हैं।

भागवताचार्य एवं ज्योतिषाचार्य पण्डित राजेश शास्त्री, ( श्रीधाम वृन्दावन ), निवास~:फूप जिला-भिंड (म. प्र.)

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